दादाभाई नौरोजी की 200वीं जयंती (200TH BIRTH ANNIVERSARY OF DADABHAI NAOROJI) | Current Affairs | Vision IAS
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    दादाभाई नौरोजी की 200वीं जयंती (200TH BIRTH ANNIVERSARY OF DADABHAI NAOROJI)

    Posted 04 Oct 2025

    Updated 09 Oct 2025

    1 min read

    Article Summary

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    नौरोजी एक अग्रणी नेता, समाज सुधारक, अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने भारत में शिक्षा, राष्ट्रवाद और ब्रिटिश नीतियों की आर्थिक आलोचना को बढ़ावा दिया।

    सुर्खियों में क्यों? 

    हाल ही में, पूरे देश में दादाभाई नौरोजी की 200वीं जयंती मनाई गई।

    दादाभाई नौरोजी के बारे में (1825-1917)

    • वे एक प्रख्यात भारतीय विद्वान, व्यवसायी और राजनीतिज्ञ थे।
    • उन्हें "ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया" और "ऑफिसियल एम्बेसडर ऑफ इंडिया" के नाम से भी जाना जाता है।
    • वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक सदस्य और तीन बार अध्यक्ष (1886, 1893 और 1906) रहे थे।
      • 1906 में, उन्हें नरमपंथियों और गरमपंथियों के बीच मतभेदों को समाप्त करने के उद्देश्य से कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था।
    • वे एल्फिंस्टन कॉलेज में प्रोफ़ेसर के पद पर नियुक्त होने वाले प्रथम भारतीय थे और उन्होंने महिला शिक्षा के प्रसार के लिए आयोजित विशेष कक्षाओं में भी पढ़ाया।
    • 1855 में, वे व्यावसायिक गतिविधियों के लिए लंदन चले गए, जहाँ उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में गुजराती भाषा के प्रोफ़ेसर के रूप में भी कार्य किया।
    • 1875 में, उन्हें बॉम्बे नगर निगम का सदस्य निर्वाचित किया गया था।

    दादाभाई नौरोजी के प्रमुख योगदान

    • सामाजिक सुधार
      • महिला शिक्षा को बढ़ावा: उन्होंने 1848 में लिटरेरी एंड साइंटिफिक सोसाइटी की स्थापना की थी। इस संस्था ने 1849 तक बालिकाओं के लिए 6 स्कूल स्थापित किए थे।
      • सुधारवादी विचारों का प्रसार: उन्होंने रास्त गोफ्तार समाचार-पत्र की शुरुआत की थी। पारसी समाज में सुधार के लिए रहनुमाई मज़दायासन सभा (1851) की सह-स्थापना की थी।
    • आर्थिक
      • धन के बहिर्गमन का सिद्धांत: उन्होंने ही सबसे पहले यह बताया था कि कैसे ब्रिटिश नीतियों ने कराधान, वेतन, पेंशन और विप्रेषण (Remittances) के नाम पर भारत की संपत्ति को ब्रिटेन भेजा है।
      • प्रमुख साहित्यिक कृतियां: पॉवर्टी ऑफ इंडियापॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया  आदि।
        • उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत सरकार की वित्तीय नीति की जांच के लिए एक शाही आयोग, वेल्बी आयोग (अध्यक्ष) की नियुक्ति हुई। (दादाभाई नौरोजी इसके सदस्य थे)
        • इसके अतिरिक्त, उन्होंने 'वॉयस ऑफ इंडिया' नामक समाचार पत्र का भी शुरू किया।
    • राजनीतिक
      • नरमपंथी नेता: वे संसदीय लोकतंत्र के प्रबल समर्थक थे और याचिका, प्रार्थना तथा विरोध जैसे संवैधानिक एवं शांतिपूर्ण तरीकों के पक्षधर भी  थे।
      • संस्थाओं की स्थापना: उन्होंने 1865 में लंदन इंडियन सोसाइटी और 1866 में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना की थी।
      • ब्रिटिश संसद में पहले भारतीय सांसद: वे 1892 के आम चुनाव में फिन्सबरी सेंट्रल से लिबरल पार्टी के लिए चुने गए थे।
      • नेतृत्व एवं मार्गदर्शन: नौरोजी ने बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले और महात्मा गांधी जैसे भविष्य के कांग्रेसी नेताओं को सलाह देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
    • नैतिक
      • उन्होंने अपनी पुस्तक 'द ड्यूटीज ऑफ द जोरोस्ट्रियंस' में विचार, वाणी और कर्म में शुद्धता की आवश्यकता पर बल दिया है।
    • शिक्षा
      • प्रारंभिक शिक्षा का सार्वभौमिकरण: भारत में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा को लागू करने की दिशा में प्रथम सार्थक प्रयास दादाभाई नौरोजी ने किया था।
      • उन्होंने, ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर, 1882 में भारतीय शिक्षा आयोग (हंटर आयोग) के समक्ष चार वर्ष की अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की मांग रखी थी।

    निष्कर्ष 

    दादाभाई नौरोजी एक दूरदर्शी राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने सामाजिक सुधार, आर्थिक समालोचना और राजनीतिक सक्रियता का समन्वय कर भारत के स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी। उनके द्वारा स्वराज के समर्थन और धन के बहिर्गमन के सिद्धांत ने राष्ट्रवादी आकांक्षाओं को एक नई एवं स्पष्ट दिशा दी। आज भी, समानता, शिक्षा और स्वशासन से संबंधित उनका दृष्टिकोण भारत की लोकतांत्रिक एवं विकासात्मक यात्रा के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है।

    • Tags :
    • Drain of Wealth Theory
    • Dadabhai Naoroji
    • Grand Old Man of India
    • Student Literary and Scientific Society
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