प्रधानमंत्री मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान (पीएम मित्र) योजना {Prime Minister Mega Integrated Textile Region and Apparel (PM MITRA) Scheme} | Current Affairs | Vision IAS
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    प्रधानमंत्री मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान (पीएम मित्र) योजना {Prime Minister Mega Integrated Textile Region and Apparel (PM MITRA) Scheme}

    Posted 04 Oct 2025

    Updated 09 Oct 2025

    1 min read

    Article Summary

    Article Summary

    इस योजना का उद्देश्य बुनियादी ढांचे के साथ बड़े पैमाने पर कपड़ा केंद्र विकसित करना, पूर्ण मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ावा देना, 70,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करना और 20 लाख नौकरियां पैदा करना है, जिससे भारत की वैश्विक कपड़ा प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    हाल ही में प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के धार जिले में पीएम मित्र पार्क की आधारशिला रखी।

    पीएम मित्र योजना के बारे में

    • शुभारंभ: वस्त्र मंत्रालय द्वारा 2021-22 से 2027-28 की अवधि के लिए 4,445 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ इस योजना की शुरुआत की गई है।
    • उद्देश्य: इसका उद्देश्य विश्वस्तरीय अवसंरचना और सुविधाओं के साथ बड़े पैमाने पर वस्त्र विनिर्माण केंद्रों की स्थापना करना है। वर्ष 2023 में भारत में 7 स्थलों की पहचान की गई थी (देखें मानचित्र)।
      • इन पार्कों में एक ही स्थान पर कताई, बुनाई, प्रसंस्करण, परिधान निर्माण, वस्त्र निर्माण, तथा प्रसंस्करण एवं मुद्रण मशीनरी उद्योग सहित वस्त्र उद्योग की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला की सुविधा प्रदान की जाएगी।
    • दृष्टिकोण: "5F" दृष्टिकोण (फार्म → फाइबर → फैक्टरी → फैशन → फॉरेन) का लक्ष्य वस्त्र उद्योग पारितंत्र को एकीकृत और विस्तारित करना है।
    • लक्ष्य:
      • लगभग 70,000 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करना।
      • लगभग 20 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करना।
    • राज्यों हेतु पात्रता एवं चयन मानदंड: 
      • संस्पर्शी और बाधा-मुक्त भू-खंड (कम से कम 1000 एकड़)उपलब्ध होना चाहिए,
      • वस्त्र एवं औद्योगिक नीति अनुकूल होनी चाहिए, और 
      • वस्त्र क्षेत्रक में पारंपरिक क्षमता (मजबूत उपस्थिति)होनी चाहिए।
    • संरचना एवं कार्यान्वयन:
      • प्रत्येक मित्र पार्क को एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) के तहत विकसित किया जाएगा, जिसमें केंद्र सरकार की 49% हिस्सेदारी होगी, और राज्य सरकार की 51% हिस्सेदारी होगी।
      • यह मॉडल मुख्यतः सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) पर आधारित होगा, जिसके तहत अवसंरचना के निर्माण और रखरखाव के लिए एक मास्टर डेवलपर का चयन किया जाएगा।
    • वित्तीय प्रोत्साहन एवं सहायता: केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय, ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के लिए प्रति पार्क 800 करोड़ रुपये और ब्राउनफील्ड परियोजनाओं के लिए प्रति पार्क 500 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, जो निम्नलिखित रूपों में होगी:
      • विकास पूंजी सहायता (DCS): परियोजना लागत का 30% तक।
        • ग्रीनफील्ड पार्क (नई विकास): प्रति पार्क सहयोग की अधिकतम सीमा 500 करोड़ रुपये होगी।
        • ब्राउनफील्ड पार्क (मौजूदा अवसंरचना का उन्नयन): शेष अवसंरचना विकास के लिए 200 करोड़ रुपये तक का सहयोग प्रदान किया जाएगा।
    • प्रतिस्पर्धात्मक प्रोत्साहन सहायता (CIS): प्रारंभिक स्थापना और टर्नओवर आदि को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति पार्क 300 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त सहयोग प्रदान किया जाएगा।
    • अन्य केंद्रीय योजनाओं के साथ अभिसरण: अन्य भारत सरकार की योजनाओं के साथ विद्युत, कौशल विकास, लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में तालमेल स्थापित किया जाएगा, ताकि प्रोत्साहन को बढ़ावा दिया जा सके और दोहराव को कम किया जा सके।
    • आम परिसंपत्तियों के रखरखाव और धारणीयता के लिए राजस्व उत्पन्न करने में सहायता हेतु, क्षेत्रफल का एक छोटा हिस्सा (लगभग 10% तक) वाणिज्यिक विकास (रियल एस्टेट, सेवाएं) के लिए अनुमत है।

    प्रधानमंत्री मित्र (PM MITRA) योजना क्यों शुरू की गई?

    • विखंडन और संपूर्ण मूल्य श्रृंखला का अभाव: कई इकाइयां (विशेषकर MSME/ छोटे फर्म) केवल एक या दो चरणों (जैसे केवल कताई, या केवल बुनाई, या केवल परिधान निर्माण) में कार्य करती हैं, न कि एक पूर्ण एकीकृत श्रृंखला में। इससे बड़े पैमाने पर बाधा उत्पन्न होती है, प्रतिक्रिया समय धीमी हो जाती है, लॉजिस्टिक्स लागत बढ़ जाती है और गुणवत्ता नियंत्रण कमजोर हो जाता है।
    • अवसंरचनात्मक बाधाएं: अविकसित प्रसंस्करण और फिनिशिंग इकाइयां, पर्यावरण-अनुकूल अपशिष्ट उपचार की कमी, मानकीकरण (परीक्षण, गुणवत्ता प्रयोगशालाओं) और विद्युत आपूर्ति जैसी कमियां निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित करती हैं।
      • पार्कों के भीतर इनक्यूबेशन सेंटर, डिजाइन लैब और प्रशिक्षण केंद्र उत्पाद नवाचार एवं कुशल श्रमशक्ति को बढ़ावा दे सकते हैं, विशेष रूप से तकनीकी वस्त्रों जैसे उभरते क्षेत्रों में।
      • पार्कों में केंद्रीकृत अपशिष्ट उपचार संयंत्र स्थायी प्रदूषण नियंत्रण सुनिश्चित करेंगे, जो यूरोप जैसे क्षेत्रों के सख्त वैश्विक पर्यावरणीय मानदंडों और खरीदारों की आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
    • अप्रचलित प्रौद्योगिकी और निम्न उत्पादकता: मौजूदा कई वस्त्र इकाइयों में पुरानी मशीनरी, अकुशल डाईंग/प्रोसेसिंग विधियों और न्यूनतम स्वचालन का उपयोग किया जा रहा है। इससे लागत बढ़ती है और चीन एवं वियतनाम जैसे वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले प्रतिस्पर्धात्मकता घटती है।
      • 'प्लग-एंड-प्ले' फैक्टरियों और राजकोषीय प्रोत्साहनों के साथ, ये पार्क घरेलू और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एक पारिस्थितिक तंत्र निर्मित करेंगे, यह ठीक वैसे ही होगा जैसा विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में किया था।
    • अपर्याप्त निवेश एवं सीमित पैमाना: एकीकृत वस्त्र पार्क योजना (SITP) जैसी मौजूदा योजनाएं वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए आवश्यक आकार और पैमाने को प्राप्त नहीं कर सकी हैं।
    • गुणक प्रभाव: एक श्रम-गहन और निर्यात-उन्मुख क्षेत्रक के रूप में, एकीकृत पार्क बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ये ग्रामीण आय को बढ़ा सकते हैं और कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत कर सकते हैं, जिससे व्यापक आर्थिक प्रभाव पैदा होता है।

    भारतीय वस्त्र एवं परिधान क्षेत्रक का अवलोकन

    • स्थिति: वस्त्र निर्माण क्षमता के मामले में भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है।  भारत वैश्विक व्यापार में 3.91%  हिस्सेदारी के साथ छठा सबसे बड़ा निर्यातक है।
    • अर्थव्यवस्था में योगदान: यह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 2.3%, औद्योगिक उत्पादन में 13% और निर्यात में 12% (2023-24 में 34.4 अरब अमेरिकी डॉलर) का योगदान करता है।
    • रोजगार: यह कृषि के बाद रोजगार सृजन करने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्रक है, जिसमें 4.5 करोड़ से अधिक लोग प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और ग्रामीण आबादी शामिल हैं।
    • समावेशी प्रकृति: इसकी लगभग 80% क्षमता MSME क्लस्टरों में फैली हुई है।

    अन्य प्रमुख सरकारी पहलें एवं सहायताएं

    • वस्त्र/परिधान हेतु उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना: यह मानव निर्मित फाइबर (MMF), तकनीकी वस्त्र आदि में बड़े पैमाने पर विनिर्माण को प्रोत्साहित करती है।
    • समर्थ योजना: वस्त्र मूल्य श्रृंखला में रोजगार-योग्यता बढ़ाने हेतु मांग-आधारित कुशल प्रशिक्षण प्रदान करती है।
    • संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (ATUFS): MSME इकाइयों के प्रौद्योगिकी उन्नयन हेतु ऋण प्रवाह को प्रोत्साहित करती है।
    • कस्तूरी कॉटन ब्रांडिंग/प्रमाणन: यह भारतीय कपास की ट्रेसबिलिटी (उत्पादन श्रृंखला का पता लगाने की क्षमता) और गुणवत्ता ब्रांडिंग हेतु एक कार्यक्रम है।
    • राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM): यह तकनीकी वस्त्रों के अनुसंधान, उत्पादन और निर्यात प्रोत्साहन पर केंद्रित प्रयास है।
    • वस्त्र क्षेत्र में वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के लिए स्वतः मार्ग से 100% FDI की अनुमति दी गई है।

    निष्कर्ष

    प्रधानमंत्री मित्र योजना का उद्देश्य भारत के वस्त्र क्षेत्र को एक वैश्विक प्रतिस्पर्धी केंद्र में परिवर्तित करना है, जो पूरी मूल्य श्रृंखला के एकीकरण, लॉजिस्टिक लागत में कमी, और प्रौद्योगिकी उन्नयन के माध्यम से संभव होगा। सुदृढ़ PPP आधारित समर्थन, वित्तीय प्रोत्साहन और रोजगार क्षमता के साथ, यह निवेश को बढ़ावा दे सकती है, निर्यात को मजबूत कर सकती है और स्थायी एवं समावेशी विकास को बढ़ावा देकर '5F' दृष्टिकोण को आगे बढ़ा सकती है।

    • Tags :
    • PM Mitra
    • Textile sector in India
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