भारत को प्रोपल्शन से संबंधित अपनी समस्याओं का समाधान करना होगा | Current Affairs | Vision IAS
मेनू
होम

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर समय-समय पर तैयार किए गए लेख और अपडेट।

त्वरित लिंक

High-quality MCQs and Mains Answer Writing to sharpen skills and reinforce learning every day.

महत्वपूर्ण यूपीएससी विषयों पर डीप डाइव, मास्टर क्लासेस आदि जैसी पहलों के तहत व्याख्यात्मक और विषयगत अवधारणा-निर्माण वीडियो देखें।

करंट अफेयर्स कार्यक्रम

यूपीएससी की तैयारी के लिए हमारे सभी प्रमुख, आधार और उन्नत पाठ्यक्रमों का एक व्यापक अवलोकन।

ESC

Daily News Summary

Get concise and efficient summaries of key articles from prominent newspapers. Our daily news digest ensures quick reading and easy understanding, helping you stay informed about important events and developments without spending hours going through full articles. Perfect for focused and timely updates.

News Summary

Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat

भारत को प्रोपल्शन से संबंधित अपनी समस्याओं का समाधान करना होगा

20 Jun 2025
15 min

भारत में स्वदेशी विमान का विकास

उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA)

AMCA पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर प्रोजेक्ट है, जिसमें सुपर-क्रूज़ क्षमता, आंतरिक हथियार बे और उन्नत एवियोनिक्स जैसी प्रगति हासिल की जा सकती है। यह भारतीय एयरोस्पेस इतिहास में एक महत्वपूर्ण सफलता है। हालांकि, भारत आयातित इंजनों पर बहुत अधिक निर्भर है, जो इसकी पूरी क्षमता के लिए चुनौती है। 

ऐतिहासिक संदर्भ: HF-24 मारुत

HF-24 मारुत भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किया गया लड़ाकू जेट है। यह प्रसिद्ध जर्मन इंजीनियर कर्ट टैंक के नेतृत्व में एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट था। इसे 1950 के दशक में लॉन्च किया गया था। हालांकि, इसका डिज़ाइन आकर्षक और क्षमताओं से भरपूर था, लेकिन इसमें प्रयुक्त ब्रिटिश निर्मित कम शक्ति वाले इंजन इसकी युद्ध क्षमताओं को सीमित करते थे, जिससे यह अपने संभावित प्रभाव को पूरी तरह नहीं दिखा सका।

  • मारुत का उत्पादन 147 इकाइयों तक सीमित था और 1990 तक इसे बंद कर दिया गया।
  • इंजन की अक्षमता लगातार बनी रही, जिसने मजबूत प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी के महत्व को उजागर किया।  

स्वदेशी इंजन विकास में चुनौतियाँ 

स्वदेशी इंजन विकसित करने के भारत के प्रयासों को बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ा है, जिसका उदाहरण कावेरी इंजन परियोजना है। 

  •  DRDO के गैस टरबाइन रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट ने 1989 में लगभग 2032 करोड़ रुपये खर्च करके इस परियोजना की शुरुआत की थी। हालांकि, यह प्रदर्शन मानकों पर खरा नहीं उतर पाई।
  • परियोजना को पुनर्जीवित करने और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ सहयोग करने के प्रयास असफल रहे हैं।
  • हल्के लड़ाकू विमान (LCA) के लिए GE F404-IN20 जैसे विदेशी इंजनों पर निर्भरता अभी भी चुनौतियां पेश कर रही है।

विदेशी इंजनों पर वर्तमान निर्भरता

यहाँ तक की भारत के सशस्त्र बल भी विदेशी इंजनों पर निर्भर है। इसका सेना और नौसेना पर भी असर पड़ रहा है।

  • सेना के अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक में जर्मनी के इंजन का उपयोग किया जाता है, जबकि नौसेना अपने जहाजों के लिए विभिन्न विदेशी इंजनों पर निर्भर रहती है। 
  • विदेशी इंजन आपूर्ति में देरी से उत्पादन और अपग्रेडेशन पर असर पड़ा है, जैसा कि LCA Mk1A के मामले में देखा गया।  

रणनीतिक निहितार्थ और सिफारिशें 

एयरोस्पेस और सामरिक स्वायत्तता प्राप्त करने के लिए स्वदेशी इंजन विकास में बड़े निवेश की आवश्यकता है। 

  • विदेशी इंजन आपूर्ति में व्यवधान से सैन्य क्षमता ख़तरे में पड़ जाती है और निर्यात प्रतिबंधित हो जाता है।
  • सैन्य तत्परता बनाए रखने और विश्वसनीय प्रतिरोध सुनिश्चित करने के लिए एडवांस्ड जेट इंजन प्रौद्योगिकी का विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है। 
  • संरचनात्मक सुधार, राजनीतिक इच्छाशक्ति तथा निजी क्षेत्रक, शिक्षा जगत और रक्षा अनुसंधान एवं विकास को एकीकृत करने वाले नवाचार इकोसिस्टम से युक्त एक व्यापक रणनीति आवश्यक है।  

विमानन और रक्षा निर्यात में भारत की व्यापक महत्वाकांक्षाएं इन चुनौतियों पर काबू पाने और इंजन प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता हासिल करने पर निर्भर हैं।

Title is required. Maximum 500 characters.

Search Notes

Filter Notes

Loading your notes...
Searching your notes...
Loading more notes...
You've reached the end of your notes

No notes yet

Create your first note to get started.

No notes found

Try adjusting your search criteria or clear the search.

Saving...
Saved

Please select a subject.

Referenced Articles

linked

No references added yet

Subscribe for Premium Features