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शुभांशु शुक्ला का ड्रैगन अंतरिक्ष यान आई.एस.एस. से कैसे जुड़ा?

27 Jun 2025
10 min

स्पेसएक्स ड्रैगन की आईएसएस के साथ डॉकिंग 

स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान ने भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य के साथ भारतीय समयानुसार शाम 4 बजे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सफलतापूर्वक डॉकिंग कर लिया। डॉकिंग एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष यान को जोड़ना शामिल है और इसके लिए अत्यधिक नियंत्रण और सटीकता की आवश्यकता होती है। 

चुनौती

  • यह क्षमता उन भारी अंतरिक्ष यान मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है जिन्हें एक ही यान द्वारा प्रक्षेपित नहीं किया जा सकता।
  • आई.एस.एस. 1998 से अब तक 43 मॉड्यूलों और घटकों से बना है।
  • डॉकिंग के लिए एल्गोरिदम और सेंसर का उपयोग करके हजारों किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा करने वाले अंतरिक्ष यान की कक्षाओं को संरेखित करना आवश्यक होता है।
  • भारत सहित केवल चार देशों ने ही इस क्षमता का प्रदर्शन किया है।

डॉकिंग प्रक्रिया 

  • डॉकिंग का स्थान:
    • कई घंटों तक अंतरिक्ष यान और आई.एस.एस. की कक्षाओं को संरेखित करना।
    • स्पेसएक्स ड्रैगन ट्रैजेक्टरी और ओरिएंटेशन को समायोजित करने के लिए 16 ड्रेको थ्रस्टर्स का उपयोग करता है। 
    • अंतिम प्रमुख दहन, प्रक्षेप पथ संरेखण के लिए आई.एस.एस. से 7.5 किमी. की दूरी पर होता है। 
  • फाइनल एप्रोच:
    • वाहन "फाइनल एप्रोच कॉरिडोर" में प्रवेश करता है, जहां सटीक माप के लिए लेजर रेंजिंग और थर्मल इमेजर्स का उपयोग किया जाता है। 
    • अनेक चेकपॉइंट सिस्टम स्वास्थ्य और एप्रोच स्टेटस का आकलन करते हैं।
    • अंतिम चेकपॉइंट "वेपॉइंट 2" आई.एस.एस. से 20 मीटर की दूरी पर है, जिससे संभावित स्थिति पर पकड़ बनाये रखने की सुविधा मिलती है। 
  • कांटैक्ट एवं कैप्चर:
    • ड्रैगन की सॉफ्ट कैप्चर रिंग, इंटरनेशनल डॉकिंग एडाप्टर (आईडीए) के साथ "सॉफ्ट संपर्क" बनाती है। 
    • "हार्ड कैप्चर" तब होता है जब ड्रैगन के हुक आईडीए में लॉक हो जाते हैं और डॉकिंग लगभग दस मिनट में पूरी हो जाती है। 
    • हैच खोलने से पहले दबाव समकरण और रिसाव की जांच की जाती है। 
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