जलवायु दायित्वों पर ICJ का फ़ैसला: एक स्वागत योग्य संकेत | Current Affairs | Vision IAS
मेनू
होम

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर समय-समय पर तैयार किए गए लेख और अपडेट।

त्वरित लिंक

High-quality MCQs and Mains Answer Writing to sharpen skills and reinforce learning every day.

महत्वपूर्ण यूपीएससी विषयों पर डीप डाइव, मास्टर क्लासेस आदि जैसी पहलों के तहत व्याख्यात्मक और विषयगत अवधारणा-निर्माण वीडियो देखें।

करंट अफेयर्स कार्यक्रम

यूपीएससी की तैयारी के लिए हमारे सभी प्रमुख, आधार और उन्नत पाठ्यक्रमों का एक व्यापक अवलोकन।

ESC

Daily News Summary

Get concise and efficient summaries of key articles from prominent newspapers. Our daily news digest ensures quick reading and easy understanding, helping you stay informed about important events and developments without spending hours going through full articles. Perfect for focused and timely updates.

News Summary

Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat

जलवायु दायित्वों पर ICJ का फ़ैसला: एक स्वागत योग्य संकेत

28 Jul 2025
15 min

जलवायु परिवर्तन दायित्वों पर ICJ का फैसला

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने हाल ही में वैश्विक जलवायु परिवर्तन ज़िम्मेदारियों के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए देशों के दायित्व पर ज़ोर दिया गया। यह परामर्श/ फैसला संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा छोटे द्वीपीय देशों के एक प्रस्ताव से प्रेरित होकर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने के अनुरोध के बाद जारी किया गया है। 

फैसले के मुख्य बिंदु 

  • प्राथमिक लक्ष्य: ICJ ने पुष्टि की है कि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना राष्ट्रों के लिए मुख्य लक्ष्य होना चाहिए। 
  • दायित्व: देशों को 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए पर्याप्त योगदान करना आवश्यक है।
  • कानूनी बाध्यता: यद्यपि यह परामर्श कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, फिर भी यह वैश्विक जलवायु वार्ताओं और पर्यावरण कानूनों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। 

निहितार्थ और चुनौतियाँ

  • वैश्विक जलवायु वार्ता: यह परामर्श जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक वार्ता को पुनर्जीवित कर सकता है तथा मजबूत प्रतिबद्धताओं की आवश्यकता पर प्रकाश डाल सकता है।
  • पर्यावरणीय न्यायशास्त्र: कमजोर राष्ट्र और समूह इस परामर्श का उपयोग मजबूत जलवायु कार्रवाई की पक्षधरता के लिए कर सकते हैं।
  • वित्तीय दायित्व: इस निर्णय से जलवायु संबंधी क्षति के लिए मुआवजे के संबंध में मुकदमेबाजी बढ़ सकती है। 

संदर्भ और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • पेरिस समझौते के दस वर्ष बाद भी, अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त करने के वैश्विक प्रयास अपर्याप्त रहे हैं, जैसा कि चरम मौसम की अनेक घटनाओं से स्पष्ट होता है।
  • हालांकि वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु बैठकें नुकसान और क्षति पर चर्चा करती हैं, लेकिन शमन प्रयासों के लिए वित्तीय योगदान पर असमानताओं से जूझती रहती हैं। 

जलवायु वित्त में चुनौतियाँ

  • नेतृत्व का अभाव: बाकू में आयोजित UNFCCC बैठक में बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के नेताओं की अनुपस्थिति उल्लेखनीय थी।
  • अमेरिका का पीछे हटना: अमेरिका एक दशक में दो बार पेरिस जलवायु समझौते से बिना किसी कानूनी परिणाम का सामना किए पीछे हट चुका है, जिससे प्रवर्तन संबंधी चुनौती उजागर होती है।
  • मुआवजा और क्षतिपूर्ति: विकसित देशों ने कमजोर देशों को सहायता की आवश्यकता को पहचानना शुरू कर दिया है, लेकिन वे क्षतिपूर्ति का विरोध करते हैं। 

जलवायु उत्तरदायित्व के सिद्धांत 

  • सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियां: ICJ ने इस सिद्धांत को सुदृढ़ किया है, तथा इस बात पर बल दिया है कि ऐतिहासिक रूप से उच्च उत्सर्जन करने वाले देशों को अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करना होगा।
  • उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव: चूंकि अमीर देश उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर अधिक शमन जिम्मेदारियां लेने के लिए दबाव डाल रहे हैं, इसलिए परामर्श में ऐतिहासिक रूप से उच्च उत्सर्जक देशों से अपने दायित्वों को पूरा करने का आग्रह किया गया है।
Title is required. Maximum 500 characters.

Search Notes

Filter Notes

Loading your notes...
Searching your notes...
Loading more notes...
You've reached the end of your notes

No notes yet

Create your first note to get started.

No notes found

Try adjusting your search criteria or clear the search.

Saving...
Saved

Please select a subject.

Referenced Articles

linked

No references added yet

Subscribe for Premium Features