ओडिशा की बाल संरक्षण पहलें
ओडिशा राज्य बाल संरक्षण के क्षेत्र में एक निवारक और किशोर-केंद्रित शासन मॉडल का नेतृत्व कर रहा है। यह मॉडल हानि को रोकने के लिए अति-स्थानीय सतर्कता और वास्तविक समय के डेटा पर केंद्रित है। यह दृष्टिकोण बाल विवाह को समाप्त करने की राज्य रणनीति और कार्य योजना (SSAP 2024) तथा अद्विका (ADVIKA), जशोदा और सुभद्रा जैसी पहलों का हिस्सा है।
जनसांख्यिकीय संदर्भ और चुनौतियाँ
- प्रजनन दर: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, ओडिशा की कुल प्रजनन दर 2015-16 के 2.1 से गिरकर 1.8 हो गई है, जो प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है।
- जनसंख्या अनुमान: 2011 की जनगणना के 4.1 करोड़ से बढ़कर 2036 तक जनसंख्या के 4.9 करोड़ होने का अनुमान है। जन्म दर में 25% की कमी का अर्थ है 70 लाख कम बच्चे।
- लिंग और समुदाय संबंधी आंकड़े:
- जनसंख्या में महिलाओं की हिस्सेदारी 49.46% है।
- 83% नागरिक ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जिनमें से 83.6% महिलाएं वहीं निवास करती हैं।
- लगभग 40% जनसंख्या अनुसूचित जनजाति (ST) और अनुसूचित जाति (SC) समुदायों से संबंधित है।
नीतिगत बदलाव और परिणाम
- बाल विवाह की रोकथाम: 2019 और 2024 के बीच 14,000 से अधिक बाल विवाह रोके गए। 13,536 गाँवों और 954 ग्राम पंचायतों ने स्वयं को बाल-विवाह मुक्त घोषित किया है।
- प्रवर्तन और सतर्कता: 10,000 से अधिक बाल विवाह निषेध अधिकारी और 63,000 से अधिक सूचना अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जिससे एक विकेंद्रीकृत सतर्कता प्रणाली का निर्माण हुआ है।
सशक्तिकरण और सहायता कार्यक्रम
- अद्विका (ADVIKA): यह कार्यक्रम 23.14 लाख किशोरों तक पहुंच बना चुका है और इसने 90,000 पीयर एजुकेटर्स (सहकर्मी शिक्षक) और प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता तैयार किए हैं।
- हेल्पलाइन और बाल सहायता डेस्क: हेल्पलाइनों के एकीकरण से प्रतिक्रिया समय में कमी आई है; रेलवे स्टेशनों पर बने हेल्प डेस्क तस्करी और असुरक्षित प्रवास को रोकने में सहायक हैं।
- आशीर्वाद योजना: इस योजना ने 51,000 से अधिक कोविड-अनाथ बच्चों को सहायता प्रदान की, जिससे उन्हें बाल श्रम या कम उम्र में विवाह से बचाया जा सका।
- परिवार-आधारित देखभाल: संस्थागत देखभाल पर निर्भरता कम करते हुए गोद लेने की दर में वृद्धि हुई है (2024-25 में 278)।
- आर्थिक सशक्तीकरण (सुभद्रा): इस पहल ने 1.1 करोड़ से अधिक महिलाओं को डिजिटल बैंक खाते खोलने में सक्षम बनाया है, जो वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है।
निष्कर्ष
ओडिशा का व्यापक दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि बाल संरक्षण को केवल एक कल्याणकारी दायित्व के बजाय शासन की प्राथमिकता माना जाना चाहिए। निवारण, सशक्तीकरण और आर्थिक एजेंसी पर ध्यान केंद्रित करके राज्य अपने सामाजिक-आर्थिक ढांचे को बदल रहा है।