भारत में इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिलों को अपनाने में आने वाली चुनौतियां
नीति आयोग के एक विश्लेषण के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिलों, जिन्हें ई-बाइक भी कहा जाता है, को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों में जटिल अनुसंधान एवं विकास, तकनीकी सीमाएं और पारंपरिक ब्रांडों द्वारा लिए गए रणनीतिक निर्णय शामिल हैं।
प्रमुख मुद्दे जिनका सामना करना पड़ा
- अनुसंधान एवं विकास की जटिलता: ई-बाइकों के लिए आवश्यक जटिल अनुसंधान एवं विकास से लागत में काफी वृद्धि होती है।
- वैश्विक मॉडलों का अभाव: इलेक्ट्रिक स्कूटरों के विपरीत, ई-बाइकों में वैश्विक स्तर पर मूल्य-संवेदनशील संदर्भ मॉडल की कमी है, जिसके कारण अनुसंधान एवं विकास के लिए नए सिरे से शुरुआत करना आवश्यक हो जाता है।
- तकनीकी बाधाएं: मौजूदा ई-बाइक प्रतिस्पर्धी कीमतों पर शक्ति, गति और रेंज के मामले में उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं को पूरा नहीं करती हैं।
- पारंपरिक ब्रांडों की रणनीति: प्रमुख ब्रांड "पहले कदम उठाने वाले" बनने के बजाय "तेजी से अनुसरण करने वाले" बनना पसंद करते हैं, जिससे स्टार्टअप को शुरुआती जोखिम उठाने की अनुमति मिलती है।
बाजार में पैठ और उपभोक्ता अपेक्षाएँ
भारत के दोपहिया वाहन बाजार में मोटरसाइकिलों की हिस्सेदारी लगभग दो-तिहाई होने के बावजूद, इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिलों की पैठ नगण्य 0.1% ही बनी हुई है, जबकि स्कूटरों की पैठ लगभग 15% तक पहुंच चुकी है।
तकनीकी और आर्थिक बाधाएँ
आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाले वाहनों के अनुरूप बड़ी बैटरी की आवश्यकता से ई-बाइक की कीमतें बढ़ जाती हैं, जो एक मूल्य-संवेदनशील बाजार में समस्याग्रस्त है जहां मोटरसाइकिल की 65% बिक्री 110 सीसी से कम के सेगमेंट में होती है।
इलेक्ट्रिक स्कूटरों के साथ तुलना
- अपनाने के कारक: इलेक्ट्रिक स्कूटर शहरी आवागमन और व्यावसायिक उपयोग के लिए बेहतर उपयुक्त हैं, इनकी परिचालन और रखरखाव लागत कम होती है, जिससे ये शहरी आबादी के बीच लोकप्रिय हो जाते हैं।
- डिजाइन की सरलता: स्कूटरों का गियर रहित डिजाइन पारंपरिक रूप से गियर वाली मोटरसाइकिलों के विपरीत, इलेक्ट्रिक ड्राइवट्रेन के लिए आसानी से अनुकूल हो जाता है।
- बाजार रणनीति: शुरुआत में चीन से आयातित स्कूटर किटों पर निर्भरता ने विकास और बाजार में प्रवेश को गति दी।
वर्तमान स्थिति
भारत में फिलहाल रिवोल्ट मोटर्स, अल्ट्रावॉयलेट ऑटोमोटिव, ओबेन इलेक्ट्रिक और मैटर मोटर्स जैसी कुछ ही कंपनियां इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिलें बेच रही हैं। सीमित स्वीकार्यता इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की मांग की कमी के बजाय संरचनात्मक और तकनीकी अंतरों को दर्शाती है।