भारत और जापान समुद्री संबंधों को गहन करने पर सहमत हुए | Current Affairs | Vision IAS
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    भारत और जापान समुद्री संबंधों को गहन करने पर सहमत हुए

    Posted 03 Jun 2025

    12 min read

    भारत और जापान एक संधारणीय एवं पारस्परिक रूप से लाभकारी भविष्य के लिए समुद्री संबंधों को गहन करने पर सहमत हुए हैं।

    समुद्री सहयोग के प्रमुख क्षेत्र

    • स्मार्ट आइलैंड्स: अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप को निम्नलिखित के माध्यम से ‘स्मार्ट आइलैंड्स’ में परिवर्तित किया जाएगा:
      • स्थायी प्रौद्योगिकियां (नवीकरणीय ऊर्जा, स्मार्ट मोबिलिटी आदि);
      • आपदा-रोधी अवसंरचना; और
      • डिजिटल कनेक्टिविटी, इत्यादि। 
    • समुद्री सहयोग और निवेश: भारत जापान के जहाज निर्माण के अनुभव तथा बंदरगाहों और समुद्री औद्योगिक क्लस्टरों के सह-विकास से लाभ उठा सकता है।
      • भारत का लक्ष्य जापान के साथ 2027 तक 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हासिल करना है।
      • भारत आंध्र प्रदेश में इमाबारी शिपबिल्डिंग में ग्रीनफील्ड निवेश की भी योजना बना रहा है।
    • समुद्री विरासत और सांस्कृतिक सहयोग: भारत ने गुजरात के लोथल में प्रस्तावित राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय (NMHC) के विकास के लिए जापान से सहयोग की इच्छा प्रकट की है।
      • NMHC का उद्देश्य भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास और विरासत को प्रदर्शित करना है। यह समुद्री क्षेत्रक में विरासत पर्यटन, शिक्षा और अनुसंधान के लिए एक विश्व स्तरीय केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
    • मानव संसाधनों का कौशल विकास: भारत के लगभग 1.54 लाख प्रशिक्षित नाविक जापान के समुद्री कार्यबल के रूप में कार्य कर सकते हैं।

    भारत-जापान समुद्री सहयोग का महत्त्व

    • व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण: ऊर्जा की कमी के कारण भारत और जापान समुद्री व्यापार पर बहुत अधिक निर्भर हैं। गौरतलब है कि भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 97% और जापान का लगभग पूरा व्यापार समुद्र पर आधारित है।
    • चीन का सामरिक प्रतिसंतुलन: दोनों देश हिंद महासागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता को लेकर चिंतित हैं।
    • क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना: भारत-जापान का समुद्री सहयोग निम्नलिखित क्षेत्रीय पहलों को भी मजबूती देता है जैसे:
      • क्वाड;
      • आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल (SCRI);
      • एशिया-अफ्रीका विकास गलियारा (AAGC);
      • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA);
      • आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (CDRI);
      • उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह (LeadIT) आदि। 
    • भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण का समर्थन: जापान, भारत की "एक्ट ईस्ट नीति", "मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030" और "समुद्री अमृत काल विज़न 2047" को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भागीदार बन सकता है।
    • Tags :
    • भारत-जापान
    • स्मार्ट आइलैंड्स
    • एक्ट ईस्ट नीति
    • मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030
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