अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने 20 वर्षों बाद ईरान को उल्लंघनकर्ता घोषित किया | Current Affairs | Vision IAS
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    अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने 20 वर्षों बाद ईरान को उल्लंघनकर्ता घोषित किया

    Posted 13 Jun 2025

    9 min read

    IAEA बोर्ड के 35 सदस्यों में से 19 ने ईरान द्वारा परमाणु अप्रसार प्रतिबद्धताओं को पूरा न करने को लेकर निंदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया।

    • यह प्रस्ताव फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी (E3) तथा संयुक्त राज्य अमेरिका ने प्रस्तुत किया था।
    • यह कदम IAEA की एक रिपोर्ट के बाद उठाया गया है। इसमें कहा गया था कि ईरान के पास 60% इतना संवर्धित यूरेनियम है, जिससे संभावित रूप से 9 परमाणु बम बनाए जा सकते हैं।
    • यह मामला अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पास जा सकता है, जो 2015 के परमाणु समझौते के तहत फिर से प्रतिबंध लगा सकती है।

    2015 के परमाणु समझौते (JCPOA) के बारे में

    • भागीदार: संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) पर ईरान और P5+1 (चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) ने हस्ताक्षर किए थे।
      • वर्ष 2018 में अमेरिका इस समझौते से हट गया था और 2019 के बाद से ईरान ने लगातार इसकी शर्तों का उल्लंघन किया है।
    • उद्देश्य: ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करना और बदले में उसे प्रतिबंधों से राहत देना।
    • संयुक्त राष्ट्र का समर्थन: इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्प 2231 (2015) द्वारा अनुमोदित किया गया था।
    • ईरान के प्रमुख दायित्व: यूरेनियम संवर्धन पर सीमा आरोपित करना और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के तहत IAEA निरीक्षणों की अनुमति देना।
    • ईरान के लिए प्रतिबंधों में राहत: यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा हथियारों एवं परमाणु प्रतिबंधों को हटाना।

    ईरान की परमाणु गतिविधियों को लेकर मौजूदा तनाव के खिलाफ प्रतिक्रिया में, इजरायल ने ईरानी परमाणु और सैन्य स्थलों को निशाना बनाते हुए "ऑपरेशन राइजिंग लायन" शुरू किया है।

    नोट: IAEA के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया 16 मई 2025 की न्यूज़ टुडे देखें।

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    • IAEA
    • JCPOA
    • P5+1
    • ऑपरेशन राइजिंग लायन
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