भारत और नेपाल ने आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता पर समझौते को अंतिम रूप दिया | Current Affairs | Vision IAS
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    भारत और नेपाल ने आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता पर समझौते को अंतिम रूप दिया

    Posted 28 Jul 2025

    12 min read

    इसके अलावा, भारत और नेपाल ने 1953 की प्रत्यर्पण संधि में संशोधन में तेजी लाने का भी निर्णय लिया है। यह निर्णय इसलिए लिया गया है, क्योंकि यह संधि अब पुरानी हो चुकी है।

    • नई आवश्यकताओं के अनुरूप एक अपडेटेड प्रत्यर्पण संधि के अभाव में कानूनी और प्रशासनिक चुनौतियों के कारण भारत एवं नेपाल के बीच अपराधियों के सुगमतापूर्वक प्रत्यर्पण में बाधा उत्पन्न होती है।

    प्रत्यर्पण (Extradition) के बारे में

    • परिभाषा: प्रत्यर्पण एक देश द्वारा दूसरे देश को उन व्यक्तियों को सौंपना है, जो उन आपराधिक मामलों में वांछित हैं, जिनके लिए वे आरोपी या दोषी ठहराए गए हैं। साथ ही, ऐसे आरोपी या दोषी दूसरे देश के न्यायालयों में मुकदमा चलाने की शर्तों को पूरा करते हों।
      • प्रत्यर्पण के मामले में विदेश मंत्रालय (MEA) केंद्रीय प्राधिकरण है ।

    भारत-नेपाल पारस्परिक कानूनी सहायता समझौते के बारे में

    • आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता: यह समझौता दोनों देशों को साक्ष्य प्राप्त करने, खुफिया जानकारी साझा करने और जांच में सहायता करने की सुविधा प्रदान करेगा। भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका (2005), इजरायल (2015) आदि सहित 42 देशों के साथ ऐसी संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं ।
      • गृह मंत्रालय इसका केंद्रीय प्राधिकरण है।
    • समझौते का लाभ: यह आपराधिक मामलों में सहयोग के लिए प्रक्रियाओं को औपचारिक और मानकीकृत करेगा। 
      • अधिकारियों को साक्ष्य और जानकारी साझा करने का स्पष्ट कानूनी अधिकार होगा। इससे जांच एवं अभियोजन की प्रक्रिया में तेजी आएगी।

    पारस्परिक कानूनी सहायता समझौते के अभाव में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है?

    • खुली सीमा का दुरुपयोग: भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा (1,751 किमी) है। इस कारण, इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे समूह नेपाल को ट्रांजिट मार्ग या छिपने के ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करते हैं, तथा उनके सहयोगी नेपाल के रास्ते भारत से भागकर किसी तीसरे देश में भाग जाते हैं।
    • अपराधियों के लिए सुरक्षित शरण: नेपाल, भारत का अब तक एकमात्र पड़ोसी देश (भूटान के अलावा) था, जिसका भारत के साथ कोई पारस्परिक कानूनी सहायता समझौता नहीं था। इसके कारण अनजाने में यह अपराधियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह के रूप में आकर्षक गंतव्य बन गया था।
      • उदाहरण के लिए- नेपाल ने कभी-कभी भारतीय जाली करेंसी रैकेट में शामिल पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया है।
    • पारस्परिकता संबंधी अनिश्चितता: किसी बाध्यकारी संधि के बिना, सहयोग अक्सर पारस्परिकता के आश्वासन पर निर्भर रहता था तथा इसकी कोई गारंटी नहीं होती थी।
    • Tags :
    • Mutual Legal Assistance Treaty
    • Extradition Treaty
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