अध्ययन में पाया गया है कि फ्लैश फ्लड की घटनाएं मुख्य रूप से हिमालय, पश्चिमी तट और मध्य भारत में घटित होती हैं।
अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
- फ्लैश फ्लड की घटनाओं के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील उप-बेसिन ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, तापी, महानदी, ब्राह्मणी और पश्चिमी तट के नदी बेसिनों में स्थित हैं।
- गोदावरी, गंगा, माही और सिंधु नदी घाटियों के कुछ हिस्सों में भी फ्लैश फ्लड की उच्च संवेदनशीलता देखी गई है।
बाढ़ शमन रणनीतियां
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फ्लैश फ्लड या आकस्मिक बाढ़ क्या है?
- परिभाषा: यह बहुत कम समय के लिए आने वाली प्रचंड बाढ़ होती है। इसमें जल का स्तर अचानक बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। WMO, 2006 के अनुसार फ्लैश फ्लड के लिए जिम्मेदार कारण (जैसे भारी बारिश) से लेकर फ्लैश फ्लड आने में लगभग 4 से 6 घंटे का समय लगता है।
- फ्लैश फ्लड और भारत:
- जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2020-2022 के बीच फ्लैश फ्लड की घटनाओं की संख्या 132 से बढ़कर 184 हो गई।
- हर साल फ्लैश फ्लड के कारण 5,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है।
फ्लैश फ्लड के लिए जिम्मेदार कारक
- फ्लैश फ्लड की 25% घटनाएं आमतौर पर बादल फटने से होने वाली भारी बारिश के 6 घंटे के भीतर घटित होती है। उदाहरण के लिए- हिमालयी क्षेत्र।
- पर्वतीय क्षेत्रों में तीव्र ढलान वाली स्थलाकृति और संकीर्ण नदी जलमार्ग: यह स्थिति तेजी से जल संचय और निचले इलाकों की ओर जल के तीव्र प्रवाह को सुगम बनाती है।
- संतृप्त मृदा (कंक्रीट व सड़कों के कारण): जब जमीन पूरी तरह से संतृप्त हो जाती है या सीमेंट-कंक्रीट की सड़कें बन जाती हैं, तो जल मिट्टी में नहीं समा पाता। इस कारण, वह जल ऊपर-ही-ऊपर सतह पर बहने लगता है।
- जब ऊपरी क्षेत्रों में बहुत ज्यादा बारिश होने से बांध, तटबंध या चेक डैम में पानी का दबाव बहुत बढ़ जाता है, तो कभी-कभी उन्हें अचानक खोलने से भी फ्लैश फ्लड की घटना घटित होती है।
फ्लैश फ्लड गाइडेंस सिस्टम (FFGS): अग्रिम चेतावनी और जोखिम न्यूनीकरण के लिए एक साधन
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