अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने “द स्टेट ऑफ सोशल जस्टिस: ए वर्क इन प्रोग्रेस” रिपोर्ट जारी की | Current Affairs | Vision IAS
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    अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने “द स्टेट ऑफ सोशल जस्टिस: ए वर्क इन प्रोग्रेस” रिपोर्ट जारी की

    Posted 07 Oct 2025

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    Article Summary

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    रिपोर्ट में गरीबी कम करने और सामाजिक सुरक्षा के विस्तार में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला गया है, लेकिन बढ़ती असमानता, घटते विश्वास और सामाजिक न्याय के लिए संस्थागत सुधारों और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता के बारे में चेतावनी दी गई है।

    यह रिपोर्ट नवंबर 2025 में कतर के दोहा में आयोजित होने वाले दूसरे ‘विश्व सामाजिक विकास शिखर सम्मेलन’ से पहले जारी की गई है। यह रिपोर्ट 1995 के ‘कोपेनहेगन सामाजिक विकास शिखर सम्मेलन’ की 30वीं वर्षगांठ को भी चिन्हित करती है।

    रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

    • प्रगति: दुनिया में चरम गरीबी 39% से घटकर 10% रह गई है।
      • साथ ही, पहली बार 2023 से विश्व की 50% से अधिक आबादी को किसी-न-किसी सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत कवर किया गया है।
    • कमियां: असमानता को कम करने की दिशा में प्रगति रुक ​​गई है।
      • किसी व्यक्ति की आय का 71% हिस्सा केवल उसके जन्म की परिस्थितियों (जैसे- परिवार, देश, सामाजिक स्थिति आदि) पर निर्भर करता है।

    सामाजिक न्याय क्या है?

    • परिभाषा: सामाजिक न्याय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता, सम्मान, आर्थिक स्थिरता और समान अवसरों के परिवेश में भौतिक समृद्धि एवं आध्यात्मिक विकास का अधिकार प्राप्त हो। 
    • स्तंभ (Pillars): अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की सामाजिक न्याय की अवधारणा चार मुख्य स्तंभों पर आधारित है:
      • मूलभूत मानवाधिकार और क्षमताएं
      • अवसरों तक समान पहुंच;
      • निष्पक्ष वितरण और
      • न्यायपूर्ण परिवर्तन।
    • 1982 से पूरी दुनिया में संस्थाओं पर लोगों का विश्वास लगातार घट रहा है।
    • जोखिम: यदि सरकारों द्वारा समय पर एवं नीतिगत  हस्तक्षेप नहीं किए जाते हैं, तो पर्यावरणीय, डिजिटल और जनसांख्यिकीय बदलाव जैसे गहरे सामाजिक परिवर्तन असमानता को और बढ़ा सकते हैं। 

    सामाजिक न्याय के लिए संस्थाओं को अनुकूल बनाना

    • श्रम संस्थाओं को पुनः सक्रिय करना और अनुकूलित करना: 
      • मुख्य फ़्रेमवर्क्स को अपडेट करना: सामाजिक सुरक्षा, श्रम संरक्षण और सक्रिय श्रम बाजार नीतियों को पर्यावरणीय, डिजिटल एवं जनसांख्यिकीय बदलावों के अनुसार सुधारना चाहिए।
      • मजबूत सामाजिक संवाद सुनिश्चित करना: इससे नीति निर्माण में सभी सामाजिक साझेदारों की भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी। 
    • सामाजिक आयाम को बढ़ावा देना:
      • श्रम नीतियों को वित्त, उद्योग, स्वास्थ्य और पर्यावरणीय योजनाओं के साथ जोड़ना चाहिए।
      • सीमित दृष्टिकोणों से आगे बढ़ते हुए, नीति निर्माण की प्रत्येक प्रक्रिया में सामाजिक पहलुओं को शामिल करना चाहिए।
    • विखंडनों को समाप्त करना और वैश्विक सहयोग का लाभ उठाना:
      • सरकार के मंत्रालयों, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और सामाजिक भागीदारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। 
      • सामाजिक न्याय के लिए वैश्विक गठबंधन और दूसरे विश्व सामाजिक विकास शिखर सम्मेलन जैसे साधनों का उपयोग करके समन्वित एवं समग्र प्रतिक्रिया को मजबूत करना चाहिए। 
    • Tags :
    • Social Justice
    • 1995 Copenhagen Summit on Social Development
    • Second World Summit for Social Development
    • The State of Social Justice Report
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