परमाणु ऊर्जा के लिए कर छूट और हरित प्रोत्साहन
परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) सौर, पवन और जल जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की तरह परमाणु ऊर्जा को भी कर छूट और हरित प्रोत्साहन देने की वकालत कर रहा है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य परमाणु ऊर्जा को अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के बराबर दर्जा देना है।
प्रस्तावित प्रोत्साहन और वर्तमान असमानताएं
- DAE ने चल रही और आगामी परमाणु परियोजनाओं के लिए वस्तु एवं सेवा कर (GST) माफ करने का प्रस्ताव दिया है।
- विभाग परमाणु परियोजनाओं के लिए हरित वित्त-पोषण और नवीकरणीय ऊर्जा खरीद दायित्वों (RPO) तक पहुंच प्राप्त करना चाहता है।
- राष्ट्रीय हरित वर्गीकरण में शामिल करने और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 'लाल' श्रेणी से हटाने का भी अनुरोध किया जाता है।
वर्तमान में, परमाणु ऊर्जा को पवन, सौर और जल ऊर्जा के समान प्रोत्साहन प्राप्त नहीं हैं, जिन्हें नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में वर्गीकृत किए जाने के कारण किफायती वित्त-पोषण विकल्पों का लाभ मिलता है। परमाणु ऊर्जा से परिचालन के दौरान कार्बन उत्सर्जन कम होने के बावजूद, इसे उच्च पर्यावरणीय जोखिम श्रेणी और 18% की उच्च GST दर का सामना करना पड़ता है, जबकि नवीकरणीय ऊर्जा पर यह दर औसतन 8.9% के आस-पास है।
विधायी और नियामक संदर्भ
- परमाणु ऊर्जा में निजी निवेश को बढ़ावा देने वाला शांति विधेयक, 2025, हाल ही में पारित किया गया है।
- पहले, GST से पहले की व्यवस्था के तहत परमाणु परियोजनाओं को उत्पाद शुल्क से छूट प्राप्त थी, जो अब उपलब्ध नहीं है।
- सीमा शुल्क में छूट की अवधि 30 सितंबर, 2027 तक बढ़ा दी गई है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें लागू होंगी।
वर्तमान और भविष्य के क्षमता लक्ष्य
- भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता वर्तमान में 8.78 गीगावाट है।
- इसका लक्ष्य 2047 तक 100 गीगावाट का उत्पादन हासिल करना है।