विश्व व्यापार संगठन (WTO) में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए भारत की पैरवी
भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में विकसित देशों से विकासशील और अल्पविकसित देशों (LDC) को लाभ पहुंचाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल और उन्नत प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने का आह्वान किया है।
भारत द्वारा उजागर किए गए प्रमुख बिंदु:
- भारत ने विकासशील अर्थव्यवस्थाओं और अल्पविकसित देशों द्वारा महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करने, अपनाने और उपयोग करने में आने वाली बाधाओं पर जोर दिया।
- चुनौतियों में शामिल हैं:
- सेमीकंडक्टर चिप्स और दुर्लभ खनिज जैसे महत्वपूर्ण घटकों पर निर्यात नियंत्रण।
- बौद्धिक संपदा संबंधी कठोर व्यवस्थाएं।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में उचित और न्यायसंगत हिस्सेदारी चाहता है, और बौद्धिक संपदा संबंधी प्रतिबंधात्मक प्रथाओं के कारण उत्पन्न बाधाओं को दूर करने की वकालत करता है।
भारत द्वारा प्रस्तावित और सुझाए गए प्रस्ताव:
- विकसित देशों को निम्नलिखित साझा करना चाहिए:
- क्षेत्रीय और क्षेत्र-विशिष्ट प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं के बारे में जानकारी।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से संबंधित अनुभव और सर्वोत्तम पद्धतियाँ।
- प्रौद्योगिकी तक पहुंच की उच्च लागत, वित्त-पोषण की आवश्यकता और घरेलू क्षमता संबंधी बाधाओं का समाधान करना।
- सेवा व्यापार में गरीब देशों की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना और उनके सेवा निर्यात का विस्तार करना।
विश्व व्यापार संगठन (WTO) समझौतों की जांच:
- भारत ने WTO समझौतों में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से संबंधित प्रावधानों की विस्तृत जांच का सुझाव दिया है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलू (TRIPS)।
- कृषि, व्यापार में तकनीकी बाधाएं।
- स्वच्छता एवं पौध स्वच्छता उपाय।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से संबंधित TRIPS लचीलेपन को लागू करने की वकालत।
भविष्य की कार्ययोजना:
- भारत ने अगली मंत्रिस्तरीय बैठक तक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के उपायों को साकार करने के लिए एक समयबद्ध रोडमैप प्रस्तावित किया है।
- प्रासंगिक और उन्नत प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के माध्यम से आर्थिक, विकासात्मक और व्यापारिक लाभ प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करना।