भारत के वाटर गवर्नेंस में सुधार: उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए अनिवार्य | Current Affairs | Vision IAS
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    भारत के वाटर गवर्नेंस में सुधार: उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए अनिवार्य

    Posted 05 Dec 2024

    Updated 09 Dec 2024

    91 min read

    प्रस्तावना

    “जो कोई भी जल संबंधी समस्याओं का समाधान कर सकता है, वह दो नोबेल पुरस्कार हासिल करने का हकदार होगा– एक शांति के लिए और दूसरा विज्ञान के लिए”। जॉन एफ कैनेडी का यह कथन जल संसाधन प्रबंधन की खराब स्थिति और इसके गवर्नेंस के संबंध में मौजूद चुनौतियों को सही मायने में दर्शाता है। निस्संदेह, स्वच्छ जल एक मूलभूत मानवाधिकार है। खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, 2025 तक 1.8 बिलियन लोगों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए वाटर गवर्नेंस का प्रश्न महत्वपूर्ण हो जाता है।

    भारत में विश्व की लगभग 18% जनसंख्या निवास करती है, लेकिन यहां विश्व के मीठे जल का केवल 4% हिस्सा ही उपलब्ध है। जल क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश और सुधार के बावजूद, भारत में जल की बढ़ती मांग का प्रबंधन करना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। यदि वर्तमान स्थिति नहीं बदली गई, तो भारत की जल संबंधी समस्याएं और गंभीर हो जाएंगी।

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    • Tags :
    • FAO
    • वाटर गवर्नेंस
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