BioE3 नीति को जारी हुए एक साल पूरा हुआ | Current Affairs | Vision IAS
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BioE3 से आशय है: ‘अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी’ (Biotechnology for Economy, Environment and Employment)। 

  • BioE3 नीति के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने भारत का पहला नेशनल बायोफाउंड्री नेटवर्क लॉन्च किया। इससे जैव प्रौद्योगिकी को भारत की अर्थव्यवस्था का प्रमुख संचालक बनाने में मदद मिलेगी।
    • नेशनल बायोफाउंड्री नेटवर्क में 6 संस्थान शामिल हैं। ये संस्थान प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट विकास को बड़े स्तर पर ले जाने, स्वदेशी जैव-विनिर्माण को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करेंगे।

BioE3 नीति के बारे में

  • उद्देश्य: बायो-इनेबलर्स की स्थापना कर जैव-आधारित उत्पादों के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास और उनके व्यावसायीकरण में तेजी लाना। 
    • बायो-इनेबलर्स में शामिल हैं: बायो-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (बायो AI) हब, बायोफाउंड्रीज और बायोमैन्युफैक्चरिंग हब
  • कार्यान्वयन: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा।
  • इसमें 6 थीमेटिक क्षेत्रकों को प्राथमिकता दी गई है:
    • जैव-आधारित रसायन और एंजाइम्स;
    • फंक्शनल फूड्स और स्मार्ट प्रोटीन;
    • परिशुद्ध जैव-चिकित्सा; 
    • जलवायु-अनुकूल कृषि;
    • कार्बन कैप्चर और उसका उपयोग; और
    • भविष्योन्मुखी समुद्री एवं अंतरिक्ष अनुसंधान।
  • पिछले एक वर्ष में हासिल की गई प्रमुख उपलब्धियां:
    • पंजाब के मोहाली में भारत के पहले बायोमैन्युफैक्चरिंग इंस्टीट्यूट का उद्घाटन किया गया।
    • सेल और जीन थेरेपी, क्लाइमेट-स्मार्ट कृषि, कार्बन कैप्चर और फंक्शनल फूड्स पदार्थ जैसे नए क्षेत्रकों को शामिल करने वाले एक दर्जन से अधिक संयुक्त अनुसंधान कार्य शुरू किए गए। 
    • जैव-प्रौद्योगिकी विभाग ने केंद्र-राज्य साझेदारी शुरू की है। इस साझेदारी के तहत BioE3 सेल स्थापित करने के लिए असम के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया गया है। 

जैव-अर्थव्यवस्था क्या है?

  • यह नवीकरणीय जैव संसाधनों का उपयोग करके भोजन, ऊर्जा और औद्योगिक वस्तुएं बनाने की प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया सतत विकास और आर्थिक संवृद्धि का समर्थन करती है।

प्रमुख क्षेत्रक: बायोफार्मा और बायोमेडिकल, बायोएग्री,  बायोइंडस्ट्रियल, बायोरिसर्च, आदि।

भारत में जैव-अर्थव्यवस्था की स्थिति

  • भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2014 में 10 बिलियन डॉलर की थी जो 2024 में बढ़कर 165.7 बिलियन डॉलर की हो गई। 2030 तक इसे बढ़ाकर 300 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • इंडिया बायोइकॉनोमी रिपोर्ट 2025 के अनुसार, यह भारत की GDP में 4.25% का योगदान दे रही है।
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