एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2033 तक पांच गुना बढ़ेगी | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

    एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2033 तक पांच गुना बढ़ेगी

    Posted 09 Sep 2025

    Updated 12 Sep 2025

    1 min read

    CII और KPMG की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अंतरिक्ष क्षेत्रक के 2022 के 8.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2033 तक 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह वृद्धि उपग्रह-आधारित सेवाओं और निर्यात से प्रेरित होगी।

    • इस विस्तार से 2033 तक वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी लगभग 2% से बढ़कर 8% तक पहुंच जाएगी।

    रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख रुझान:

    • अंतरिक्ष संबंधी सेवाओं में प्राथमिक फोकस में बदलाव: भू-प्रेक्षण (EO), उपग्रह संचार और नेविगेशन जैसी डाउनस्ट्रीम सेवाओं से आय सृजित की जा रही है।
      • ये सेवाएं दूरसंचार, कृषि, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन, अवसंरचना आदि क्षेत्रकों में तेजी से एकीकृत हो रही हैं।
    • अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के प्रमुख चालक और समर्थक: 
      • निजी क्षेत्रक की बढ़ती भूमिका: लगभग 200 स्टार्ट-अप्स नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। 
      • संस्थागत सुधार: उदाहरण के लिए- भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) मांग को समेकित कर रहा है। 
      • अंतरिक्ष-आधारित इनपुट को गवर्नेंस प्लेटफॉर्म्स से जोड़ना: जैसे, भू-निधि पोर्टल आदि।
    • अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियां:
      • सीमित वैश्विक पहुंच: उदाहरण के लिए- NavIC की वर्तमान क्षेत्रीय सरंचना इसकी अंतर्राष्ट्रीय उपयोगिता को सीमित करती है।
      • भू-प्रेक्षण डेटा के लिए अविकसित वाणिज्यिक बाजार: इसकी वजह उद्यमों में जागरूकता की कमी, सीमित नवाचार और खंडित बाजार मांग है।
      • निजी क्षेत्रक की सीमित भागीदारी: इसका कारण उच्च पूंजीगत आवश्यकता, लंबी इनक्यूबेशन अवधि और अनिश्चित विनियामक ढांचा है।
      • कुशल कार्यबल की कमी: कौशल असंगतता, प्रतिभा पलायन आदि कारक जिम्मेदार हैं। 
      • कर और विनियामक अनिश्चितता: GST, डिजिटल कराधान और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) राजस्व-साझाकरण के संबंध में कर अस्पष्टतायें, भू-प्रेक्षण डिलीवरी मॉडल को बढ़ाने में संरचनात्मक बाधाएं पैदा करती हैं।
      • अन्य: सुरक्षा और सामरिक चिंता, बढ़ती अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के साथ अंतरिक्ष मलबे में वृद्धि आदि।

    अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के विकास के लिए शुरू की गई पहलें 

    • भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023: यह गैर-सरकारी संस्थाओं को अंतरिक्ष गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में पूर्ण भागीदारी करने में सक्षम बनाती है।
    • न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL): यह इसरो की वाणिज्यिक शाखा के रूप में कार्य करती है। यह इसरो के उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देती है तथा उनका व्यवसायीकरण करती है।
    • अन्य: 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), 1,000 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल (VC) फंड आदि।
    • Tags :
    • Indian Space Policy 2023
    • India's space economy
    Watch News Today
    Subscribe for Premium Features