“ग्लोबल लैंड आउटलुक थीमैटिक रिपोर्ट ऑन इकोलॉजिकल कनेक्टिविटी एंड लैंड रिस्टोरेशन” जारी की गई | Current Affairs | Vision IAS
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    “ग्लोबल लैंड आउटलुक थीमैटिक रिपोर्ट ऑन इकोलॉजिकल कनेक्टिविटी एंड लैंड रिस्टोरेशन” जारी की गई

    Posted 13 Oct 2025

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    Article Summary

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    रिपोर्ट में देशों से आग्रह किया गया है कि वे आवासों, प्रजातियों के प्रवास और प्राकृतिक प्रक्रियाओं की सुरक्षा के लिए भूमि और जल नियोजन में पारिस्थितिक संपर्क को एकीकृत करें, तथा विश्व भर में स्थायी भूमि पुनर्स्थापन समाधानों को बढ़ावा दें।

    इसे अबू धाबी में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की विश्व संरक्षण कांग्रेस में जारी किया गया है। 

    • यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय (UNCCD) और वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (CMS) द्वारा तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में देशों से भूमि, जल और अवसंरचना संबंधी योजनाओं में इकोलॉजिकल कनेक्टिविटी को शामिल करने का आह्वान किया गया है।

    इकोलॉजिकल कनेक्टिविटी के बारे में

    • अर्थ: यह आपस में जुड़े हुए पर्यावासों के मध्य बिना किसी बाधा के जीवों की आवाजाही और पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने वाली प्राकृतिक प्रक्रियाओं के प्रवाह को संदर्भित करती है। 
      • इन प्रक्रियाओं में सजीवों, ऊर्जा, पोषक तत्व, जल, तलछट, सूचना, ज्ञान, संस्कृति आदि का प्रवाह शामिल है।
    • सफल मॉडल के उदाहरण: 
      • उत्तरी यूरोप से बाल्कन और भूमध्य सागर तक 24 देशों में फैली यूरोपीय ग्रीन बेल्ट; 
      • कोस्टा रिका में जगुआर आदि प्रजातियों के लिए वन्यजीव गलियारों की प्रणाली आदि।

    प्रमुख खतरे

    • पर्यावास में हस्तक्षेप: दुनिया की 60% से ज़्यादा नदियों का मार्ग बदल दिया गया है या उन पर बांध बना दिए गए हैं। इससे मछलियों का प्रवास बाधित हो रहा है। उदाहरण के लिए- मेकांग नदी। 
    • अवसंरचना का विकास: रेलवे, सड़क जैसी रेखीय अवसंरचनाएं प्रत्यक्ष रूप से वनों और वृक्षों की कटाई का कारण बनती हैं। साथ ही, अप्रत्यक्ष रूप से मानव बसावट को भी आकर्षित करती हैं तथा द्वितीयक सड़क विकास के चलते फिशबोन इफेक्ट उत्पन्न करती हैं। इससे भूमि का क्षरण एवं विखंडन होता है। 

    इकोलॉजिकल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख सिफारिशें

    • संधारणीय कृषि: इसमें पुनर्योजी कृषि, वर्टिकल एग्रीकल्चर, हाइड्रोपोनिक्स और एक्वापोनिक्स, जल संचयन एवं मृदा नमी प्रबंधन आदि शामिल हैं। 
    • वन: इसमें असिस्टेड नेचुरल रिजनरेशन आदि को बढ़ावा देना शामिल है, जिसके तहत एक्टिव प्लांटेशन के साथ-साथ पैसिव रिस्टोरेशन भी किया जाता है।
    • जल प्रबंधन: इसके तहत जैव-धारण क्षेत्र, नदी के बाढ़ के मैदान, प्राकृतिक अंतर्देशीय आर्द्रभूमि आदि के संरक्षण का सुझाव दिया गया है।
    • इकोलॉजिकल कनेक्टिविटी को बढ़ाना: जैसे- पारिस्थितिक गलियारों का संरक्षण, आक्रामक प्रजातियों का प्रबंधन आदि। 
    • शहरों और इमारतों को हरित बनाना: इसके लिए शहरी वन, शहरी हरित गलियारे आदि के विकास पर जोर दिया जाना चाहिए।
    • Tags :
    • International Union for Conservation of Nature (IUCN)
    • Global Land Outlook Thematic Report
    • Ecological Connectivity and Land Restoration
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