सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि गिरफ्तारी का लिखित आधार न देने पर गिरफ्तारी अवैध मानी जाएगी | Current Affairs | Vision IAS
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    सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि गिरफ्तारी का लिखित आधार न देने पर गिरफ्तारी अवैध मानी जाएगी

    Posted 07 Nov 2025

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    सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि बिना लिखित कारण के गिरफ्तारी संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, तथा समय पर, स्पष्ट संचार और हिरासत प्रक्रियाओं के दौरान व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा पर जोर दिया।

    मिहिर राजेश शाह बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य वाद में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी लिखित रूप में नहीं दी जाती, तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्ति के मूल अधिकारों का उल्लंघन है।

    निर्णय के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर 

    • गिरफ्तारी के कारणों को जानने का अधिकार: यह संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत एक मूल और अनिवार्य सुरक्षा उपाय है। यह भारतीय न्याय संहिता (BNS) में  वर्णित अपराधों सहित सभी अपराधों पर लागू होता है।
      • इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ कि यह संवैधानिक सुरक्षा केवल विशेष कानूनों जैसे गैर-कानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (UAPA) या धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी कानूनों के मामलों में लागू है।
    • अपवाद वाली परिस्थितियां: यदि किसी स्थिति में तुरंत लिखित आधार देना संभव नहीं है, तो आरोपी को मौखिक रूप से बताया जा सकता है।
      • हालांकि, लिखित आधार दो घंटे के भीतर आरोपी को रिमांड कार्यवाही के लिए मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने से पहले जरूर प्रदान करना होगा।
        • इससे गिरफ्तार व्यक्ति के अनुच्छेद 22(1) के तहत संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा और आपराधिक जांच की परिचालन संबंधी निरंतरता को बनाए रखने के बीच एक न्यायसंगत संतुलन सुनिश्चित होगा।
    • संचार का तरीका: संचार लिखित में होना चाहिए और गिरफ्तार व्यक्ति द्वारा समझी जाने वाली भाषा में होना चाहिए।

    संबंधित अनुच्छेद

    • अनुच्छेद 21: किसी भी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।
    • अनुच्छेद 22(1): गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के कारणों की सूचना (जितनी जल्दी हो सके) दी जानी चाहिए, और उसे अपनी पसंद के विधिक व्यवसायी से परामर्श करने तथा अपना बचाव करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा।
    • Tags :
    • Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS)
    • Mihir Rajesh Shah vs. State of Maharashtra & Anr
    • Article 22(1)
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