सॉलिड-स्टेट बैटरियों के साथ-साथ फ्लो बैटरियां भी अगली पीढ़ी की बैटरी प्रौद्योगिकियों में से एक होती हैं। ये ग्रिड पैमाने के उपयोगों के लिए लिथियम-आयन के एक विकल्प के रूप में उभर रही हैं। ये बैटरियां लचीलापन, लंबी उपयोग अवधि, और सुरक्षा प्रदान करती हैं।
अगली पीढ़ी की बैटरी प्रौद्योगिकियों के बारे में
- फ्लो बैटरियां: ये अपचयन-ऑक्सीकरण (reduction-oxidation या redox) अभिक्रियाओं द्वारा संचालित होती हैं। इनमें दो अलग-अलग तरल इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं। ये इलेक्ट्रोलाइट्स एक छिद्रिल झिल्ली (porous membrane) के माध्यम से आयनों या प्रोटॉन्स को आगे-पीछे प्रवाहित करते हैं।
- ये बैटरियां बड़ी मात्रा में ऊर्जा संग्रहित कर सकती हैं। यह इलेक्ट्रोलाइट सेल्स के आकार पर निर्भर करता है। साथ ही, इनमें किसी ज्वलनशील या प्रदूषक सामग्री का उपयोग भी नहीं किया जाता है।
- फ्लो बैटरियों के प्रकार: वैनेडियम रेडॉक्स, जिंक-ब्रोमीन, आयरन-सॉल्ट/ ऑर्गेनिक सिस्टम।
- सॉलिड-स्टेट बैटरियां: इनमें ठोस इलेक्ट्रोलाइट समाधानों का उपयोग होता है। ये इलेक्ट्रोलाइट्स विभाजक के रूप में भी कार्य करते हैं। इससे एक अलग विभाजक की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
- इससे ये बैटरियां सुरक्षित बन जाती हैं। ऐसा इस कारण, क्योंकि क्षति के दौरान इनमें रिसाव (leakage) कम होता है तथा अधिक तापमान हो जाने पर ये बैटरियां फूलती नहीं हैं।
अगली पीढ़ी की बैटरी प्रौद्योगिकियों का महत्त्व
- ये बैटरियां ग्रिड-पैमाने पर ऊर्जा भंडारण के लिए उपयुक्त होती हैं। ऐसा इस कारण, क्योंकि बैटरी द्वारा विद्युत प्रदान करने की क्षमता और उसकी कुल ऊर्जा भंडारण क्षमता एक दूसरे से अलग होती है। इससे उपयोग के आधार पर दोनों तरह की क्षमताओं को घटाया-बढ़ाया जा सकता है।
- यह लिथियम-आयन बैटरियों का एक विकल्प प्रदान करती हैं, क्योंकि ये सामग्री पर निर्भरता में विविधता लाती हैं यानी भिन्न-भिन्न सामग्रियों का उपयोग किया जा सकता है और आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा को बढ़ाती हैं।
- इनका उपयोग विद्युत प्रबंधन, पंपों, ग्रिड ऊर्जा भंडारण आदि में किया जाता है।
- ये लंबी अवधि के लिए ऊर्जा भंडारण (LDES) समाधान प्रदान करती हैं। ये समाधान नवीकरणीय ऊर्जा के समेकन और ग्रिड अनुकूलनशीलता को बढ़ाते हैं।