वर्तमान में, सरकारों के जलवायु संबंधी संकल्पों में भूमि आधारित कार्बन निष्कासन के लिए लगभग 1.01 बिलियन हेक्टेयर भूमि के उपयोग का प्रस्ताव किया गया है।
भूमि आधारित कार्बन निष्कासन (LBCR) क्या है?
LBCR उन रणनीतियों को संदर्भित करता है, जो वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित और संग्रहीत करने के लिए स्थलीय पारिस्थितिकी-तंत्रों का उपयोग करती हैं। इन पारिस्थितिकी-तंत्रों में मुख्य रूप से वन, मृदा, आर्द्रभूमियां, और कृषि परिदृश्य शामिल हैं।
LBCR की विधियां
- पुनर्वनीकरण और वनीकरण: जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) के अनुसार, पुनर्वनीकरण एवं वनीकरण से प्रतिवर्ष 0.5–10.1 गीगाटन CO2 का शमन (mitigation) किया जा सकता है।

- मृदा कार्बन प्रच्छादन (Soil Carbon Sequestration): यह वातावरण में मौजूद CO2 को कैप्चर करने और उसे मृदा जैविक कार्बन (SOC) के रूप में मृदा में संग्रहित करने की प्रक्रिया होती है।
- कार्बन कैप्चर और स्टोरेज के साथ जैव-ऊर्जा (BECCS): BECCS में, सिल्वरग्रास जैसी ऊर्जा उत्पादक फसलें उगाई जाती हैं। इनका जैव-ऊर्जा के लिए ईंधन के रूप में दहन किया जाता है। दहन से होने वाले CO2 उत्सर्जन को कैप्चर किया जाता है और भूमिगत रूप से संग्रहीत किया जाता है।
- भूवैज्ञानिक कार्बन प्रच्छादन: प्रत्यक्ष रूप से वायु से या बॉयोजेनिक (जैव-उत्पादित) स्रोतों से कैप्चर की गई CO2 को लंबी अवधि के भंडारण के लिए छिद्रयुक्त चट्टानी संरचनाओं में भूमिगत गहराई में इंजेक्ट किया जाता है।
- बायोचार: ऑक्सीजन की सीमित मात्रा वाले परिवेश में बायोमास के दहन से कार्बन का अधिक स्थिर रूप उत्पन्न होता है, जिसका मृदा में उपयोग किया जा सकता है। इससे मृदा के पोषक तत्वों में वृद्धि होती है और कार्बन स्टॉक में भी बढ़ोतरी होती है।
- वर्धित अपक्षय (Enhanced Weathering): इसमें कार्बन ग्रहण (uptake) में वृद्धि करने के लिए, कार्बन डाइऑक्साइड और अभिक्रियाशील स्रोतों (जैसे- कुछ प्रकार की चट्टानों) के बीच होने वाली प्राकृतिक अभिक्रिया को तीव्र किया जाता है।
रिपोर्ट के अन्य मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
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