यह विधेयक कानून बनने के बाद बीज अधिनियम, 1966 और बीज (नियंत्रण) आदेश, 1983 की जगह लेगा। इस प्रस्तावित विधेयक के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- किसानों के लिए उन्नत बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करना,
- किसानों के अधिकारों की रक्षा करना, और
- व्यवसाय करना आसान बनाना।
विधेयक के मुख्य प्रावधानों पर एक नजर
- बीजों का अनिवार्य रूप से पंजीकरण: कोई भी बीज बिना पंजीकरण के बेचा नहीं जा सकेगा। हालांकि, किसानों द्वारा संरक्षित पारंपरिक बीज किस्मों और विशेष रूप से निर्यात के उद्देश्य से उत्पादित बीज को इस प्रावधान से छूट दी गई है।
- बीजों की बिक्री का विनियमन: बीज की किस्मों को भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणन मानकों का अनुपालन करना होगा।
- केंद्रीय बीज-समिति: इसका गठन केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा। इस समिति का मुख्यालय नई दिल्ली में होगा।
- यह समिति बीज से संबंधित कार्यक्रम व योजना बनाने तथा बीज के विकास, उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण, निर्यात और आयात आदि से संबंधित मामलों पर सलाह देगी।
- राज्य बीज समितियां: ये समितियां संबंधित राज्य सरकारों द्वारा गठित की जाएंगी। राज्य समिति में एक अध्यक्ष और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त या नामित अधिकतम 15 सदस्य होंगे।
- पंजीकरण उप-समितियां: ये समितियां बीज के प्रकारों या किस्मों के दावों का परीक्षण करके उनके पंजीकरण के लिए अनुशंसा करेंगी।
- बीज किस्मों पर राष्ट्रीय रजिस्टर: यह बीज प्रमाणीकरण अधिकारी के नियंत्रण और प्रबंधन में संरक्षित सभी प्रकार या किस्मों के बीजों का एक रजिस्टर होगा।
- केंद्रीय बीज परीक्षण प्रयोगशाला और राज्य बीज परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना: इन प्रयोगशालाओं में बीज विश्लेषक और निरीक्षक नियुक्त किए जाएंगे।
- कानून के उल्लंघन का अपराध और दंड: इसके प्रावधानों का उल्लंघन करने की प्रकृति के आधार पर कठोर दंड प्रस्तावित किए गए हैं।
- अपराधों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है; तुच्छ (Trivial), मामूली (Minor) और गंभीर (Major)।
- गंभीर अपराधों के मामले में अधिकतम 30 लाख रुपये तक का जुर्माना और कैद की सजा का प्रावधान है।