हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कई प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं बार-बार घटित हो रही हैं। इस तरह की घटनाएं केवल लोक-स्वास्थ्य की समस्या भर नहीं हैं, बल्कि ये संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत इंसान की सुरक्षा से जुड़ा विषय भी हैं।
उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देश
- शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, परिवहन केंद्र जैसे प्रत्येक परिसर के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें। ये अधिकारी इन परिसरों के रखरखाव और निगरानी की जिम्मेदारी संभालेंगे।
- जिला मजिस्ट्रेट यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे परिसरों में पर्याप्त बाड़बंदी व चारदीवारी हो और इनमें गेट लगे हों। इससे इन परिसरों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
- स्थानीय नगर निकाय और पंचायतें नियमित रूप से या प्रत्येक तीन महीने में कम-से-कम एक बार इन परिसरों का निरीक्षण करेंगे।
- सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में एंटी-रेबीज वैक्सीन और इम्युनोग्लोब्युलिन का पर्याप्त भंडार हर समय अनिवार्य रूप से उपलब्ध होना चाहिए।
- अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े नियमों को सख्ती से लागू करें ताकि बचा हुआ भोजन या अपशिष्ट जानवरों को आकर्षित न करे।
भारत में आवारा कुत्तों से जुड़ी समस्याएं
- कुल संख्या: 2019 की पशुधन गणना के अनुसार भारत में लगभग 1.5 करोड़ आवारा कुत्ते हैं।
- कुत्तों के काटने के मामले: राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के अनुसार 2024 में कुत्तों के काटने के लगभग 37 लाख मामले दर्ज किए गए थे।
- रेबीज संक्रमण: विश्व में रेबीज से होने वाली कुल मौतों में 36% भारत में दर्ज की जाती हैं।
- रेबीज से मृत्यु का मामला: भारत में रेबीज से होने वाली लगभग 96% मौतें कुत्तों के काटने से होती हैं।
भारत में आवारा कुत्तों से निपटने से संबंधित प्रावधान और उठाए गए कदम
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