यह रिपोर्ट WEF एआई फॉर एग्रीकल्चर इनिशिएटिव (AI4AI) ने जारी की है।
- AI4AI कृषि प्रौद्योगिकी संबंधी समाधानों को आगे बढ़ाने और वैश्विक खाद्य प्रणालियों के रूपांतरण में तेजी लाने के लिए सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रक के भागीदारों को एक साथ लाता है।
कृषि क्षेत्रक में मुख्य चुनौतियां

- कृषि क्षेत्रक के कार्यबल में गिरावट: इसके लिए जिम्मेदार कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं-
- गाँव से शहरों की ओर प्रवास करना तथा वृद्ध होती किसान आबादी के कारण श्रम की उपलब्धता में कमी।
- जलवायु परिवर्तन और चरम मौसमी घटनाएं:
- यदि उत्सर्जन में कटौती नहीं की जाती है, तो वर्ष 2100 तक प्रमुख खाद्य फसलों से वैश्विक कैलोरी उत्पादन में 24% तक की कमी आ सकती है।
- प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण:
- ताजा जल का 70 प्रतिशत तक कृषि में उपयोग होता है। इसके अतिरिक्त, 71 प्रतिशत जलभृत (aquifers) रिक्त हो चुके हैं।
- कुल मृदा में से एक-तिहाई मृदा निम्नीकृत हो चुकी है। साथ ही, 2050 तक 90 प्रतिशत उपरिमृदा (topsoil) का क्षरण होने की संभावना है।
रिपोर्ट में रेखांकित किए गए ‘कृषि में डीप टेक के प्रमुख उपयोग’ के मामले
- इंटेलो लैब्स (Intello Labs) का AI और कंप्यूटर विज़न-आधारित समाधान ‘फ्रूटसॉर्ट’: यह एडवांस्ड कैमरों और मशीन लर्निंग का उपयोग करके ताजा उपज का तेजी से विश्लेषण करता है और दोषों की पहचान करता है।
- प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): यह दक्षतापूर्ण फसल बीमा के लिए रिमोट सेंसिंग (उपग्रह इमेजरी) के साथ-साथ उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले ड्रोन्स और एक समर्पित मोबाइल ऐप का उपयोग करता है।
- इंफोसिस का "5G.NATURAL" कार्यक्रम: यह विशेष रूप से फसल कटाई के लिए स्वचालित हार्वेस्टिंग मशीनों का एक ऐसा तंत्र बनाने पर केंद्रित है, जिसकी-
- क्षमता में वृद्धि की जा सके,
- जिसके घटकों को आसानी से असेम्बल किया जा सके तथा
- जो बुद्धिमत्तापूर्ण रूप से कार्य कर सके।
- URVARA/उर्वरा परियोजना: बूममित्रा ने कार्बन की निगरानी, रिपोर्टिंग और सत्यापन (MRV) के लिए वाइटल एग्रीकल्चर रीजेनेरेशन एंड एडेप्टेशन (URVARA/उर्वरा) परियोजना शुरू की है।