समीउल्लाह बनाम बिहार राज्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने भारत की भूमि पंजीकरण प्रणाली पर चिंता प्रकट की | Current Affairs | Vision IAS
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    समीउल्लाह बनाम बिहार राज्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने भारत की भूमि पंजीकरण प्रणाली पर चिंता प्रकट की

    Posted 08 Nov 2025

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    Article Summary

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    उच्चतम न्यायालय ने भूमि रजिस्ट्रेशन प्रणाली में पुराने कानून, स्वामित्व प्रमाण में असमर्थता और डिजिटल सुधारों को चुनौती समझाते हुए ब्लॉकचेन तकनीक अपनाने का सुझाव दिया है।

    उच्चतम न्यायालय द्वारा रेखांकित किए गए महत्वपूर्ण मुद्दे-

    • पुराने कानून: भूमि पंजीकरण अभी भी औपनिवेशिक युग के कानूनों, जैसे- संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1882, स्टाम्प अधिनियम 1899, और पंजीकरण अधिनियम 1908 द्वारा शासित है।
    • कोई निर्णायक स्वामित्व नहीं: पंजीकरण अधिनियम के तहत किसी विलेख (deed) या दस्तावेज का पंजीकरण केवल स्वामित्व का अनुमानित (presumptive) प्रमाण प्रदान करता है, निर्णायक (conclusive) नहीं। 
      • इसका अर्थ है कि राज्य स्वामित्व की प्रामाणिकता को सत्यापित नहीं करता है। इससे भूमि के खरीदार मुकदमेबाजी में फंस जाते हैं।
    • मुकदमेबाजी का बोझ: फर्जी विलेख या दस्तावेज, अतिक्रमण और कमजोर सत्यापन के कारण 66% दीवानी मुकदमेबाजी होती है।
    • अधूरा डिजिटलीकरण: DILRMP और NGDRS जैसे कार्यक्रम अभिलेखों को डिजिटल तो करते हैं, लेकिन ये दोषपूर्ण स्वामित्व को ठीक नहीं करते हैं।
      • DILRMP: डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम। 
      • NGDRS: राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली। 

    उच्चतम न्यायालय के मुख्य सुझाव

    • ब्लॉकचेन तकनीक को अपनाना: ब्लॉकचेन तकनीक संपत्ति लेन-देन के लिए भ्रष्टाचार के दोष से मुक्त, पारदर्शी और आसानी से सत्यापन योग्य रजिस्ट्री बना सकती है। 
      • इस तरह की प्रणालियां सर्वेक्षण डेटा, भू-संपत्ति मानचित्रों (Cadastral Maps) और पंजीकरण विवरणों को एकीकृत कर सकती हैं। इससे किसी संपत्ति की  एक ही समय में एक से अधिक बार बिक्री को रोका जा सकता है।
    • निर्णायक स्वामित्व: अनुमानित स्वामित्व की बजाय निर्णायक स्वामित्व को अपनाने का अध्ययन करने के लिए विधि आयोग को निर्देशित किया जाना चाहिए।
    • संस्थागत सुधार: उच्चतम न्यायालय ने पंजीकरण अधिनियम (1908), साक्ष्य अधिनियम (1872), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (2000) आदि में वैध संशोधनों या त्रुटि सुधार तथा केंद्र-राज्य समन्वय को मजबूत करने का आह्वान किया।

    ब्लॉकचेन तकनीक के बारे में

    • परिभाषा: ब्लॉकचेन विकेन्द्रीकृत और वितरित खाता-बही (लेजर) है। इसमें एन्क्रिप्टेड रिकॉर्ड्स (ब्लॉक) कई कम्प्यूटर्स में स्थायी रूप से जुड़े होते हैं।
    • संरचना: डेटा ब्लॉक्स श्रृंखलाबद्ध रूप से जुड़े रहते हैं। इसमें डेटा क्रिप्टोग्राफिक रूप से सुरक्षित रहता है तथा इसमें हेरफेर नहीं किया जा सकता है। 
    • प्रमुख विशेषताएं: अपरिवर्तनीयता, पारदर्शिता, पता लगाने की क्षमता और विकेंद्रीकरण।
    • लाभ: विश्वास में वृद्धि होती है, धोखाधड़ी में कमी होती है और सार्वजनिक प्रणालियों की दक्षता में सुधार होता है।
    • वैश्विक प्रासंगिकता: स्वीडन, जॉर्जिया और घाना जैसे देशों ने ब्लॉकचेन-आधारित लैंड रजिस्ट्री का संचालन किया है। इससे दक्षता एवं नागरिक विश्वास में सुधार हुआ है।
    • Tags :
    • Blockchain Technology
    • Land Registration System
    • Registration Act 1908
    • Stamp Act 1899
    • Transfer of Property Act 1882
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