सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों संबंधी समस्या को नियंत्रित करने के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए | Current Affairs | Vision IAS
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    सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों संबंधी समस्या को नियंत्रित करने के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए

    Posted 23 Aug 2025

    1 min read

    पहले सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर (आश्रय गृह) में भेज दिया जाए और उन्हें वापस न छोड़ा जाए। इस आदेश को तीन जजों की बेंच को भेजा गया।

    सुप्रीम कोर्ट के संशोधित दिशा-निर्देश

    • सार्वजनिक जगहों पर खिलाने पर रोक: अब सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाना गैर-कानूनी है।
    • खिलाने के लिए तय स्थान: नगर निकाय को हर वार्ड में कुत्तों को खिलाने के लिए अलग जगह बनानी होगी।
    • इलाज के बाद वापस छोड़ना: बंध्याकरण, कीड़े मारने की दवा देने और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उसी जगह वापस छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था।
      • लेकिन, रेबीज से ग्रसित, संदिग्ध रेबीज वाले या आक्रामक कुत्तों पर यह नियम लागू नहीं होगा।
    • राष्ट्रीय नीति: सुप्रीम कोर्ट ने ये दिशा-निर्देश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक बढ़ा दिए हैं। साथ ही, संबंधित हाई कोर्ट के मामलों को मिलाकर एक अंतिम राष्ट्रीय नीति बनाने की प्रक्रिया शुरू की है।
    • गोद लेना: पशु प्रेमियों को आवारा कुत्तों को गोद लेने के लिए नगर निकायों में आवेदन करने की अनुमति है।

    आवारा कुत्तों से जुड़ी हुई समस्याएं

    • आवारा कुत्तों की संख्या: 2019 की पशुधन गणना के अनुसार भारत में लगभग 1.5 करोड़ आवारा कुत्ते हैं।
    • जन सुरक्षा की चिंता: आक्रामक और रेबीज से पीड़ित कुत्तों के हमलों से नागरिकों की सुरक्षा खतरे में है।
      • विश्व में रेबीज से होने वाली कुल मौतों में से 36% मौतें भारत में होती हैं।
      • इंसानों में होने वाले रेबीज के 99% मामले कुत्ते के काटने या खरोंचने से होते हैं।

    भारत में आवारा कुत्तों से संबंधित प्रावधान

    • संवैधानिक:
      • अनुच्छेद 243(W): इस अनुच्छेद के तहत नगरपालिकाओं का कर्तव्य है कि वे आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करे।
      • अनुच्छेद 51A(g): नागरिकों का यह मौलिक कर्तव्य है कि वे “जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव रखें।”
    • कानूनी:
      • पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023: ये नियम पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत बनाए गए हैं। इनका उद्देश्य बंध्याकरण के जरिए आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करना और टीकाकरण के माध्यम से रेबीज के फैलाव को रोकना है।
    • कोर्ट के फैसले:
      • सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू वाद, 2014 में निर्णय दिया था कि जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21) जानवरों को भी प्राप्त है। 
      • पीपल फॉर एलिमिनेशन ऑफ स्ट्रे ट्रबल बनाम भारतीय पशु कल्याण बोर्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी आवारा कुत्तों, यहां तक कि परेशान करने वाले कुत्तों को भी मारने पर रोक लगा दी थी।
    • Tags :
    • Stray Dogs
    • Animal Rights
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