NHRC ने कैदियों के सामने आने वाली कठिनाइयों का स्वतः संज्ञान लिया | Current Affairs | Vision IAS
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    NHRC ने कैदियों के सामने आने वाली कठिनाइयों का स्वतः संज्ञान लिया

    Posted 10 Apr 2025

    12 min read

    इस मुद्दे का संज्ञान लेते हुए, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किया। इस नोटिस में जेलों में कैदियों की अत्यधिक संख्या, बुनियादी सुविधाओं की कमी और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति पर रिपोर्ट देने को कहा गया है।

    • भारतीय संविधान की अनुसूची VII के अंतर्गत, जेलें सूची-II के अंतर्गत राज्य सूची का विषय है। इसलिए, ये राज्यों के विधायी और प्रशासनिक क्षेत्राधिकार में आती हैं।

    कैदियों द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयां 

    • जेलों में जेलों की क्षमता से अधिक कैदी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव: भारतीय जेलों में उनकी क्षमता से अधिक लगभग 131.4% कैदी हैं।
      • 2022 तक के आकंड़ों के अनुसार भारत की जेलों में 75.8% विचाराधीन मामलों से संबंधित कैदी हैं।
      • 40% से भी कम जेलों में सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध हैं; केवल 18% जेलों में ही महिलाओं के लिए विशेष सुविधाएं हैं।
    • महिला कैदी
      • सम्मान और सुरक्षा के अधिकारों के उल्लंघन, हिंसा में वृद्धि आदि से मानसिक तनाव उत्पन्न होता है।
      • महिला कैदियों के अधिकार: राज्य जेल मैनुअल में महिला कैदियों के लिए राइट टू रीप्रोडक्टिविटी का स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
    • मृत्युदंड की सजा वाले कैदी: मृत्युदंड की कार्यवाही में अत्यधिक देरी देखने को मिलती है।  NCRB के आंकड़ों के अनुसार 2006 से 2022 की अवधि में इसकी निष्पादन दर मात्र 0.3% थी।
    • भेदभाव: इसमें जाति के आधार पर जेल कार्य का विभाजन; जेलों के अंदर हाथ से मैला उठाने की प्रथा; सामाजिक स्थिति के आधार पर कैदियों का वर्गीकरण, आदि शामिल हैं।

    कैदियों के लिए मौजूदा प्रावधान

    भारत में

    • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 479: यदि किसी आरोपी व्यक्ति ने जांच या सुनवाई के दौरान उस अपराध के लिए कारावास की अधिकतम अवधि का आधा हिस्सा हिरासत में बिता लिया है, तो उसे न्यायालय द्वारा जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा।
    • BNSS में प्ली बर्गेनिंग (धारा 289 से 300): यह आरोपी और अभियोजन पक्ष के बीच सुनवाई से पहले बातचीत को संभव बनाती है।

    वैश्विक स्तर पर 

    • बैंकॉक नियम: इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2010 में अपनाया गया था। इसमें महिला कैदियों के उपचार और महिला अपराधियों के लिए गैर-हिरासत उपायों से संबंधित नियम प्रदान किए गए हैं।
    • नेल्सन मंडेला नियम: इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2015 में अपनाया गया था। इसमें कैदियों के उपचार के लिए न्यूनतम मानक नियम प्रदान किए गए हैं।
    • Tags :
    • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
    • NHRC
    • BNSS
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