न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत कुल 145 लोक सभा सदस्यों ने एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इसके अलावा, न्यायमूर्ति वर्मा को न्यायाधीश के पद से हटाने के लिए राज्य सभा के 50 से अधिक सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रस्ताव राज्य सभा के सभापति को सौंप दिया गया है।
न्यायाधीशों को पद से हटाने से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 124(4): यह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को हटाने से संबंधित है।
- हटाने के आधार: सिद्ध कदाचार और अक्षमता।
- अनुच्छेद 124(5): यह संसद को यह अधिकार देता है कि वह अनुच्छेद 124(4) के तहत किसी प्रस्ताव के प्रस्तुत किए जाने की तथा न्यायाधीश के कदाचार या असमर्थता की जांच और सिद्ध करने की प्रक्रिया का कानून के जरिए विनियमन कर सकेगी।
- यह प्रक्रिया न्यायाधीश जांच अधिनियम (1968) द्वारा विनियमित होती है। यह अधिनियम संसद ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(5) के तहत बनाया है।
- अनुच्छेद 217(1)(b): यह हाई कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने से संबंधित है।
- इसमें प्रावधान किया गया है कि किसी हाई कोर्ट के न्यायाधीश को राष्ट्रपति द्वारा उसी रीति से उसके पद से हटाया जा सकता है, जिसे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने के लिए अनुच्छेद 124 के खंड (4) में उपबंधित किया गया है।
- अनुच्छेद 218: यह अनुच्छेद 124 के खंड (4) और खंड (5) की प्रयोज्यता को हाई कोर्ट्स तक बढ़ाता है।
