60वें अनुसमर्थन के साथ हाई सीज ट्रीटी (खुले समुद्र पर संधि) के लागू होने का मार्ग प्रशस्त हुआ | Current Affairs | Vision IAS
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    60वें अनुसमर्थन के साथ हाई सीज ट्रीटी (खुले समुद्र पर संधि) के लागू होने का मार्ग प्रशस्त हुआ

    Posted 20 Sep 2025

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    Article Summary

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    राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे समुद्री जैव विविधता के संरक्षण हेतु 2023 में अपनाई गई उच्च सागर संधि के लिए 60 देशों की स्वीकृति आवश्यक है और इसका प्रबंधन संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया जाता है। भारत ने 2024 में इसका समर्थन किया।

    हाई सीज ट्रीटी को 2023 में “राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे क्षेत्रों की समुद्री जैव विविधता (BBNJ) पर अंतर-सरकारी सम्मेलन” द्वारा अपनाया गया था। 

    • इस संधि में प्रावधान किया गया था कि 60 देशों द्वारा अनुसमर्थन मिलने के उपरांत 120 दिन बाद यह लागू होगी।

    हाई सीज ट्रीटी के बारे में

    • इसका औपचारिक नाम 'राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे क्षेत्रों की समुद्री जैव विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग पर समझौता' (BBNJ समझौता) है।
    • यह एक कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है।
    • इसे राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे क्षेत्रों की समुद्री जैव विविधता के संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) के समझौते के तहत अपनाया गया है।
      • यह UNCLOS का तीसरा कार्यान्वयन समझौता है। इसके अलावा, अन्य दो समझौते 1994 में UNCLOS के कार्यान्वयन से संबंधित समझौता और 1995 का संयुक्त राष्ट्र मत्स्य भंडार समझौता हैं।
    • हाई सीज यानी खुला समुद्र: यह वह समुद्री क्षेत्र है, जो किसी भी देश के अधिकार-क्षेत्र से बाहर होता है। यह वैश्विक साझा क्षेत्र है, जिसका सभी देश वैध अंतर्राष्ट्रीय उद्देश्यों जैसे- नौवहन, हवाई उड़ान, समुद्र के नीचे केबल और पाइपलाइन बिछाने आदि के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
    • भारत और हाई सीज ट्रीटी
      • 2024 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाई सीज ट्रीटी पर हस्ताक्षर को मंजूरी प्रदान की थी।
      • कार्यान्वयन मंत्रालय: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय।
    • Tags :
    • High Seas Treaty
    • International Waters
    • Intergovernmental Conference on Marine Biodiversity of Areas Beyond National Jurisdiction
    • United Nations Convention on Law of the Sea (UNCLOS)
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