न्यूरोटेक्नोलॉजी में ऐसे हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर शामिल होते हैं, जो तंत्रिका तंत्र की संरचना, गतिविधि एवं कार्यों को समझते हैं, उन्हें प्रभावित करते हैं, सुधारते हैं या अनुमान लगाते हैं। इसके लिए ये हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर तंत्रिका तंत्र का प्रत्यक्ष रूप से मापन, निगरानी व विश्लेषण करते हैं तथा उस तक पहुंचते हैं, पूर्वानुमान लगाते हैं या अनुकरण करते हैं। उदाहरण के लिए- ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI)।
- हालिया दिनों में, तंत्रिका विज्ञान (neuroscience) के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का एकीकरण मानव मस्तिष्क के प्रमुख पहलुओं, जैसे- तर्क करना, सीखना, अनुभूति, पूर्वानुमान, नियोजन और नियंत्रण को प्रभावित कर सकता है।
न्यूरोटेक्नोलॉजी से संबंधित चिंताएं
- मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जोखिम: कई अन्य प्रमुख तकनीकों के विपरीत, यह मस्तिष्क की संरचना तक सीधे पहुंच बना सकती है, उसमें हेरफेर कर सकती है और उसकी नकल कर सकती है।
- व्यक्तिगत पहचान और मनोवैज्ञानिक निरंतरता: व्यक्ति की आत्म-भावना यानी विचार करने की स्वतंत्रता से समझौता हो सकता है। इसके अलावा, स्मृति की सुरक्षा के समक्ष जोखिम भी उत्पन्न हो सकता है, जिसमें "व्यक्ति कौन है" को बदलने वाले स्मृति संबंधी संशोधन या हेरफेर हो सकते हैं। इनसे उस व्यक्ति की स्वायत्तता एवं निजता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- तंत्रिका संबंधी डेटा का उपयोग: कंपनियां लक्षित विपणन या व्यावसायिक लाभ के लिए न्यूरोटेक उपकरणों से एकत्र किए गए मस्तिष्क से जुड़े डेटा का दुरुपयोग कर सकती हैं।
- सामाजिक असमानताएं: न्यूरोटेक्नोलॉजी का असमान उपयोग मौजूदा सामाजिक विभाजनों को तीव्र कर सकता है। इससे संभावित रूप से अधिक सामाजिक तनाव और संघर्ष उत्पन्न हो सकते हैं।
आगे की राह (यूनेस्को द्वारा सिफारिशें)
- कानूनी संरक्षण और विनियमन: न्यूरोटेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर कानूनी नियंत्रण स्थापित करने की आवश्यकता है। हालांकि वैज्ञानिक, चिकित्सा संबंधी या न्यायिक उपयोग के लिए छूट दी जा सकती है।
- डेटा नीति: तंत्रिका संबंधी डेटा के संग्रह, प्रसंस्करण, साझाकरण और अन्य सभी उपयोगों को नियंत्रित करने के लिए मजबूत, निष्पक्ष एवं चुस्त विनियामक व कानूनी ढांचा तैयार किया जाना चाहिए।
- समान पहुंच: विज्ञान व साक्ष्य आधारित, सुरक्षित और विश्वसनीय न्यूरोटेक्नोलॉजी तक समान पहुंच को बढ़ावा देने की जरूरत है।