DRAP को स्वच्छ भारत मिशन–शहरी 2.0 (SBM-U 2.0) के तहत शुरू किया गया है। यह लगभग एक वर्ष तक चलने वाली लक्षित पहल है। इसे सितंबर 2026 तक “लक्ष्य ज़ीरो डंपसाइट्स” का उद्देश्य पूरा करने के लिए शुरू किया गया है।
- स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.0 को 2021 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य सभी शहरों के लिए कचरा-मुक्त का दर्जा सुनिश्चित करना है।
- इस मिशन का एक अन्य उद्देश्य सभी पुराने कूड़े के ढेर वाले स्थलों (legacy dumpsites) की सफाई करना और उन्हें हरित क्षेत्रों में बदलना है।
डंपसाइट रीमेडिएशन एक्सेलरेटर प्रोग्राम के बारे में
- उद्देश्य: विशाल ‘कचरे वाले स्थलों’ की सफाई को प्राथमिकता देना। इनमें लगभग 8.8 करोड़ मीट्रिक टन पुराने अपशिष्टों यानी लीगेसी वेस्ट को हटाने पर ध्यान दिया जाएगा।
- लीगेसी वेस्ट से आशय वास्तव में लैंडफिल या डंपसाइट में नगर निगम के पुराने अपशिष्ट से है। इनमें पूरी तरह या आंशिक रूप से अपघटित हो चुके जैव-निम्नीकृत (Biodegradable) अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट, आदि शामिल हैं।
- देश का लगभग 80% लीगेसी वेस्ट 202 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) में 214 स्थलों पर केंद्रित है।
- क्रियान्वयन मंत्रालय: केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA)
- पात्रता: सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जिनमें लेगेसी वेस्ट से जुड़ी परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं। इस कार्यक्रम के तहत 45,000 मीट्रिक टन से अधिक लेगेसी वेस्ट वाले स्थलों को प्राथमिकता दी जाएगी।
- केंद्र शासित प्रदेशों और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए अपशिष्ट की कोई न्यूनतम सीमा नहीं रखी गई है।
भारत में डंपसाइट्स की स्थिति और प्रबंधन
- वर्तमान स्थिति: 1,428 डंपसाइट्स में सफाई का काम चल रहा है, जिनमें से 1,048 पूरी तरह साफ की जा चुकी हैं।
- प्रमुख उत्सर्जन और प्रदूषण की चिंताएं:
- निक्षालन (Leachate): यह डंपसाइट्स के अपशिष्ट के नीचे से निकलने वाला प्रदूषित तरल पदार्थ है।
- लैंडफिल गैस: कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन का मिश्रण, जो ऑक्सीजन की कमी की स्थिति में अपशिष्ट के सड़ने से बनता है।