हेरिटेबल ह्यूमन जीनोम एडिटिंग (Heritable Human Genome Editing: HHGE) | Current Affairs | Vision IAS
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    हेरिटेबल ह्यूमन जीनोम एडिटिंग (Heritable Human Genome Editing: HHGE)

    Posted 26 Dec 2024

    Updated 31 Dec 2024

    11 min read

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    हाल ही में, दक्षिण अफ्रीका हेरिटेबल ह्यूमन जीनोम एडिटिंग (HHGE) को अनुमति देने वाला दुनिया का पहला पहला देश बन गया है। 

    अन्य संबंधित तथ्य 

    • दक्षिण अफ्रीका ने स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में नैतिकता के संबंध में नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें हेरिटेबल ह्यूमन जीनोम एडिटिंग (HHGE) की अनुमति दी गई है। इसका अर्थ है कि इस तकनीक का उपयोग करके आनुवंशिक रूप से संशोधित संतान उत्पन्न की जा सकती है।   
    • दक्षिण अफ्रीका के दिशा-निर्देश WHO जैसे संगठनों द्वारा प्रस्तावित फ्रेमवर्क की तुलना में कम कठोर हैं। उल्लेखनीय है कि WHO के फ्रेमवर्क सामाजिक सहमति पर बल देते हैं। 

     हेरिटेबल ह्यूमन जीनोम एडिटिंग (HHGE) के बारे में 

    • सोमैटिक सेल एडिटिंग केवल संबंधित व्यक्ति को प्रभावित करती है। HHGE के तहत जर्मलाइन कोशिकाओं (शुक्राणु, अण्डाणु या भ्रूण) में परिवर्तन किया जाता है, जिससे ये परिवर्तन आगे की पीढ़ी में आनुवंशिक रूप से शामिल हो जाते हैं। 
      • यह जिंक-फिंगर न्यूक्लिऐसिस (ZFNs), ट्रांसक्रिप्शन एक्टिवेटर-लाइक इफ़ेक्टर न्यूक्लिऐसिस (TALENs), CRISPR/ Cas9 और मेगन्यूक्लिऐसिस जैसी तकनीकों के माध्यम से किया जा सकता है। 

     हेरिटेबल ह्यूमन जीनोम एडिटिंग (HHGE) के संभावित उपयोग

    • रोग की रोकथाम: इससे आनुवंशिक रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस, हंटिंगटन रोग और सिकल सेल एनीमिया जैसे रोगों की रोकथाम की जा सकती है। 
    • आनुवंशिक अनुसंधान के क्षेत्र में प्रगति: इससे मानव संबंधी जीव विज्ञान, आनुवंशिकी और रोग तंत्र के बारे में हमारी समझ को बेहतर करने में मदद मिल सकती है। 
    • असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीक: इससे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) जैसी तकनीकों में सुधार किया जा सकता है। 

    हेरिटेबल जीनोम एडिटिंग से जुड़ी चिंताएं

    • अप्रत्याशित परिणाम: जर्मलाइन जीनोम एडिटिंग के प्रभाव वंशानुगत हो सकते हैं, जिससे ये  प्रभाव कई पीढ़ियों तक देखने को मिल सकते हैं। 
    • नैतिक मुद्दे: यह मानव गरिमा और मानव विविधता के सम्मान के खिलाफ है। यह धार्मिक और नैतिक मान्यताओं को चुनौती भी दे सकता है।
    • सामाजिक प्रभाव: इससे "डिजाइनर बेबी" बनाना संभव हो सकता है, जहां बुद्धिमत्ता, रूप-रंग, एथलेटिक क्षमताएं जैसी विशेषताएं अनुवांशिक रूप से शामिल की जा सकती हैं। इससे सामाजिक असमानता के बढ़ने का खतरा है। 
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