आदित्य-L1 मिशन ने कोरोनल मास इजेक्शंस (CMEs) पर नजर रखी | Current Affairs | Vision IAS
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    आदित्य-L1 मिशन ने कोरोनल मास इजेक्शंस (CMEs) पर नजर रखी

    Posted 10 Nov 2025

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    भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने नासा के सहयोग से आदित्य-L1 से CMEs का स्पेक्ट्रोस्कोपिक पर्यवेक्षण किया, जो सूर्य और पृथ्वी प्रणाली की समझ में महत्वपूर्ण कदम है।

    भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) के वैज्ञानिकों ने नासा (NASA) के सहयोग से CMEs के प्रमुख मापदंडों का सफलतापूर्वक अनुमान लगाया है। इसके लिए उन्होंने आदित्य-L1 पर लगे विजुअल एमिशन लाइन क्रोनोग्राफ (VELC) से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग किया है।  

    • यह CMEs का अब तक का पहला दृश्य-प्रकाश (visible-light) स्पेक्ट्रोस्कोपिक पर्यवेक्षण है।
    • CME वास्तव में सूर्य के कोरोना से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का व्यापक स्तर पर उत्सर्जन है।

    आदित्य-L1 मिशन के बारे में

    • यह भारत का पहला समर्पित सौर मिशन है।
    • इसे 2023 में PSLV-C57 द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।
    • उद्देश्य: कोरोना तापन व सौर पवन त्वरण; सौर ज्वालाओं और पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष के मौसम; सौर वायु वितरण व तापमान विषमदैशिकता (Anisotropy) आदि को समझना।
    • उपयोग अवधि: 5 वर्ष। 
    • 7 पेलोड्स:
      • रिमोट सेंसिंग पेलोड्स: VELC, सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT) आदि।
      • इन-सिटू पेलोड्स: अदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) आदि।
    • इसे सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज प्वाइंट-1 (L1) के आसपास एक हेलो ऑर्बिट (प्रभामंडल कक्षा) में स्थापित किया गया है। हेलो ऑर्बिट पृथ्वी से लगभग 1.5 लाख किमी दूर है।
      • हेलो ऑर्बिट L1 पर एक आवर्ती (periodic) व त्रि-आयामी कक्षा है। इसमें सूर्य, पृथ्वी और एक अंतरिक्ष यान शामिल होते हैं।
      • लैग्रेंज प्वाइंट्स पर द्रव्यमान युक्त दो बड़े पिंडों का गुरुत्वाकर्षण बल ठीक उसी केंद्रापसारी बल (centripetal force) के बराबर होता है, जो एक लघु पिंड को उनके साथ गतिमान रहने के लिए आवश्यक होता है। दूसरे अर्थों में दो खगोलीय पिंडों का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव और अंतरिक्ष यान या उपग्रह आदि पर लगने वाला केन्द्रापसारी बल लगभग बराबर हो जाता है।
        • लैग्रेंज प्वाइंट्स का उपयोग किसी कृत्रिम उपग्रह आदि के नियत स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने हेतु किया जाता है।

    अन्य प्रमुख सौर मिशन

    • हिनोतोरी: 1980 के दशक में जापान द्वारा हिनोतोरी (ASTRO-A) मिशन प्रक्षेपित किया गया था।
    • पार्कर सोलर प्रोब: इसे 2018 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने प्रक्षेपित किया था। उल्लेखनीय है कि यह सूर्य को “स्पर्श” करने वाला पहला अंतरिक्ष यान है। 
      • यहां सूर्य को 'स्पर्श' करने से आशय सूर्य के ऊपरी वायुमंडल यानी कोरोना से होकर उड़ान भरने से है। 
    • सोलर एंड हेलियोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी सैटेलाइट (SOHO) मिशन: इसे नासा-यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) द्वारा संयुक्त रूप से प्रक्षेपित किया गया था। यह सबसे लंबे समय तक सक्रिय सूर्य-पर्यवेक्षण उपग्रह है।
    • Tags :
    • Aditya-L1 Mission
    • Visible Emission Line Coronagraph (VELC)
    • Major Solar Missions
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