यह पर्यवेक्षण ऑर्बिटर पर लगे चंद्रा एटमॉस्फेरिक कंपोजिशन एक्सप्लोरर-2 (CHACE-2) उपकरण की मदद से किया गया है।
CHACE-2 के बारे में
- यह एक न्यूट्रल गैस मास स्पेक्ट्रोमीटर है। इसका उपयोग चंद्रमा के न्यूट्रल एक्सोस्फियर की संरचना का अध्ययन करने के लिए किया जा रहा है। यह 1 से 300 एटॉमिक मास यूनिट (AMU) के दायरे में अध्ययन करता है।
कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) क्या हैं?
- CMEs सूर्य की सबसे बाहरी परत कोरोना से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का बड़े पैमाने पर उत्सर्जन हैं।
- कारण: ये प्रायः सौर ज्वालाओं (Solar Flares) और उन सक्रिय सनस्पॉट क्षेत्रों से जुड़े होते हैं, जहां चुंबकीय क्षेत्र बहुत मजबूत और मुड़े हुए होते हैं।
- आवृत्ति: CMEs की घटनाएं तब सबसे ज्यादा होती हैं, जब 11-वर्षीय सौर चक्र का सोलर मैक्सिमम चरण चल रहा होता है। सोलर मिनिमम के दौरान CMEs की घटनाएं बहुत कम होती हैं।
- सौर चक्र की शुरुआत सोलर मिनिमम से होती है। इस दौरान सूर्य में सबसे कम सनस्पॉट्स होते हैं।
- सौर चक्र की मध्य अवधि सोलर मैक्सिमम होती है। इस दौरान सूर्य में सबसे अधिक सनस्पॉट्स होते हैं।
- पृथ्वी पर संभावित प्रभाव:
- उपग्रहों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नुकसान पहुंचता है;
- GPS संचार में बाधा आती है;
- विद्युत ग्रिड विफल हो जाते हैं;
- रेडियो सिग्नल जैसे संचार में बाधा आती है;
- ऑरोरा (उत्तरी/ दक्षिणी ध्रुवों में ध्रुवीय ज्योति) बनते हैं;
- अंतरिक्ष यात्रियों के समक्ष विकिरण का खतरा उत्पन्न हो जाता है आदि।
CHACE-2 के प्रमुख निष्कर्ष:
- जब CMEs चंद्रमा से टकराते हैं, तो चंद्र सतह से परमाणुओं का निष्कासन तीव्र हो जाता है।
- इसके परिणामस्वरूप, चंद्रमा के दिन वाले हिस्से के एक्सोस्फीयर में उदासीन परमाणुओं की संख्या में स्पष्ट वृद्धि होने लगती है।
- लूनर एक्सोस्फीयर चंद्रमा के चारों ओर मौजूद एक बहुत पतला सा वातावरण है। यह इतना विरल होता है कि इसमें मौजूद गैस के कण शायद ही कभी टकराते हैं।
- इसके परिणामस्वरूप, चंद्रमा के दिन वाले हिस्से के एक्सोस्फीयर में उदासीन परमाणुओं की संख्या में स्पष्ट वृद्धि होने लगती है।
चंद्रयान-2 के बारे में
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