जापान ने ‘साने ताकाइची’ को देश की पहली महिला प्रधान मंत्री के रूप में चुना है। यह समावेशिता और लैंगिक समानता की दिशा में धीरे-धीरे होने वाले बदलाव को दर्शाता है।
भारतीय और जापानी राजनीतिक प्रणालियों के बीच समानताएं
- लिखित संविधान: भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा संविधान है, जबकि जापान का संविधान लघु है और इसमें अधिकतम 5000 शब्द ही हैं।
- संसदीय लोकतंत्र: दोनों ही संसदीय लोकतंत्र हैं, जिनमें प्रधान मंत्री वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होता है।
- द्विसदनीय विधायिका: जापान की राष्ट्रीय डाइट में हाउस ऑफ रेप्रेसेंटेटिव (निम्न सदन) और हाउस ऑफ़ काउंसिलर्स (उच्च सदन) होते हैं, जबकि भारत की संसद में लोक सभा और राज्य सभा होती है।
- मौलिक अधिकार (Fundamental Rights):
- जापान में अध्याय III (अनुच्छेद 10–40) समानता, स्वतंत्रता और मानव गरिमा की गारंटी देता है।
- भारत में भाग III (अनुच्छेद 12–35), 6 मौलिक अधिकार सुनिश्चित करता है।
- अन्य समानताएं: स्वतंत्र न्यायपालिका, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, संवैधानिक सर्वोच्चता आदि।
