हाल ही में, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (National Investigation Agency: NIA) द्वारा आयोजित ‘आतंकवाद-रोधी सम्मेलन–2025’ में देशभर में ATS की एक-समान संरचना पर ज़ोर दिया गया।
- NIA ने समान ATS रूपरेखा विकसित करके उसे राज्य पुलिस बलों के साथ साझा किया है।
- NIA की अद्यतन अपराध पुस्तिका (क्राइम मैनुअल), संगठित अपराध नेटवर्क डेटाबेस तथा खोए और बरामद हथियारों का डेटाबेस भी जारी किए गए।
समान ATS रूपरेखा का महत्व
- आतंकवाद की बदलती प्रकृति: आतंकवाद अधिक जटिल, सीमा-पार और प्रौद्योगिकी-आधारित होता जा रहा है। आतंकवादी अब AI, ब्लॉकचेन से लेन-देन जैसी नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने लगे हैं।
- राज्यों की रूपरेखा में एकरूपता और मानकीकरण: समान मानक संचालन प्रक्रियाएं (SOPs) राज्यों में आतंकवाद से निपटने के लिए समान तरीके से तैयारी और, त्वरित प्रत्युत्तर में निरंतरता सुनिश्चित कर सकती हैं। इनमें जाँच से लेकर अभियोजन चलाना और प्रति-कार्रवाई शामिल हैं।
- सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय में सुधार: राज्य पुलिस तथा केंद्रीय एजेंसी NIA, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) जैसी खुफिया संस्थाओं के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित होगा।
- कार्य-संचालन में दक्षता: मानकीकृत प्रशिक्षण, डेटाबेस, प्रौद्योगिकी का समान उपयोग और सभी एजेंसियों में समान क्षमता-निर्माण सुनिश्चित होगा।
आतंकवाद से निपटने हेतु भारत की राष्ट्रीय रूपरेखा
- राष्ट्रीय एजेंसियां: NIA, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG), इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) जैसे संगठनों का गठन किया गया है।
- राष्ट्रीय डेटाबेस:
- केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत गठित नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) वास्तविक समय में खुफिया जानकारी और डेटा साझा करके समन्वय सुनिश्चित करता है।
- मादक-पदार्थ से जुड़े अपराधियों का राष्ट्रीय एकीकृत डेटाबेस (NIDAAN) बनाया गया है।
- आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण की रोकथाम:
- NIA के अंतर्गत आतंक का वित्तपोषण और जाली मुद्रा प्रकोष्ठ (Terror Funding and Fake Currency Cell: TFFC) का गठन किया गया है।
- केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आतंकवाद-वित्तपोषण निपटान (Combating Financing of Terrorism: CFT) प्रकोष्ठ गठित किया गया है, आदि।