विकसित भारत के लिए मानव पूंजी | Current Affairs | Vision IAS
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यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर समय-समय पर तैयार किए गए लेख और अपडेट।

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In Summary

  • मुख्य सचिवों के सम्मेलन का केंद्र बिंदु 'विकसित भारत के लिए मानव पूंजी' था, जिसमें उत्पादकता और राष्ट्रीय विकास में इसकी भूमिका पर जोर दिया गया।
  • भारत अपनी जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठा सकता है, जिसमें लगभग 60% लोग कामकाजी आयु वर्ग में हैं, ताकि आर्थिक विकास और नवाचार को गति दी जा सके।
  • प्रमुख चुनौतियों में खराब बुनियादी साक्षरता (कक्षा 5 में गणित में 46% दक्षता) और उच्च ड्रॉपआउट दर (माध्यमिक स्तर पर 10.9%) शामिल हैं, जिसके लिए मजबूत बुनियादी शिक्षा और कौशल एकीकरण की आवश्यकता है।

In Summary

हाल ही में, मुख्य सचिवों के सम्मेलन में "विकसित भारत के लिए मानव पूंजी" विषय पर ध्यान केंद्रित किया गया।

  • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के अनुसार, मानव पूंजी “लोगों में निहित ज्ञान, कौशल और अन्य व्यक्तिगत विशेषताओं का भंडार है, जो उन्हें उत्पादक बनने में मदद करती है।”

विकसित राष्ट्र बनने के लिए मानव पूंजी का महत्त्व

  • जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा उठाना: वर्तमान में लगभग 60% जनसंख्या कार्यशील आयु वर्ग (15-59 वर्ष) में है। इसके 2030 तक बढ़कर 68.9% के उच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान है।
  • आर्थिक विकास के साथ सह-संबंध: 'मानव पूंजी सिद्धांत' के अनुसार शिक्षा, कौशल और स्वास्थ्य कार्यबल की दक्षता में सुधार करते हैं।
  • नवोन्मेषी अर्थव्यवस्था: यह अनुसंधान, उद्यमिता और प्रौद्योगिकी को अपनाने में सक्षम बनाती है। साथ ही, यह स्टार्ट-अप्स, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्टर (आधार, UPI आदि) तथा AI एवं हरित ऊर्जा जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में भारत की प्रगति का समर्थन करती है।

मानव पूंजी विकास के समक्ष प्रमुख चुनौतियां

  • निम्नस्तरीय बुनियादी साक्षरता और संख्या कौशल: उदाहरण के लिए- परख {समग्र विकास के लिए प्रदर्शन आकलन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण (Performance Assessment, Review, and Analysis of Knowledge for Holistic Development: PARAKH)} 2024 के अनुसार कक्षा 5 के छात्रों में गणित में केवल 46% दक्षता है।
  • स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ने (ड्रॉपआउट) की उच्च दर: माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने की दर 10.9% है।
  • स्कूली शिक्षा के कम अनुमानित वर्ष (EYS): भारत में यह 13.3 वर्ष है, जबकि विकसित देशों का मानक 18 वर्ष है।

आगे की राह

  • बुनियादी शिक्षा को मजबूत करना: सीखने की मजबूत नींव के लिए 'निपुण भारत' (NIPUN Bharat), बालवाटिकाओं और प्रारंभिक बाल्यावस्था की शिक्षा का विस्तार करना चाहिए।
  • कौशल एकीकरण और रोजगार क्षमता: शिक्षा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप बनाना चाहिए, राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (NSQF) के माध्यम से व्यावसायिक शिक्षा और 'अटल टिंकरिंग लैब' को बढ़ावा देना चाहिए आदि।
    • निपुण/ NIPUN से आशय है: “बेहतर समझ और संख्यात्मक ज्ञान के साथ पढ़ाई में प्रवीणता हेतु राष्ट्रीय पहल (नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमेरेसी)। 
  • स्वास्थ्य और पोषण सहायता: पीएम पोषण (PM POSHAN) योजना के साथ समन्वय को मजबूत करना चाहिए, ताकि बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त हो सकें।
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पीएम पोषण (PM POSHAN)

यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जो सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा I से VIII तक के छात्रों को मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) प्रदान करती है। इसका उद्देश्य पोषण स्तर में सुधार और स्कूल में उपस्थिति बढ़ाना है।

निपुण भारत (NIPUN Bharat)

बेहतर समझ और संख्यात्मक ज्ञान के साथ पढ़ाई में प्रवीणता हेतु राष्ट्रीय पहल (National Initiative for Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy)। इसका उद्देश्य प्राथमिक स्तर पर मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN) सुनिश्चित करना है।

राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (National Skills Qualification Framework - NSQF)

यह एक योग्यता-आधारित ढाँचा है जो विभिन्न व्यावसायिक और शैक्षणिक योग्यताओं को एक स्तरित प्रणाली में वर्गीकृत करता है, जिससे भारत में कौशल विकास और रोजगार क्षमता को बढ़ावा मिलता है।

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