अमेज़न, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और IBM सहित 26 प्रमुख तकनीकी कंपनियों ने स्वेच्छा से यूरोपीय आयोग के ‘जनरल-पर्पज AI (GPAI) कोड ऑफ प्रैक्टिस’ पर हस्ताक्षर किए हैं।
- यह संहिता स्वैच्छिक है, लेकिन इस पर हस्ताक्षर करने वालों को कानूनी स्पष्टता मिल सकती है और EU के आगामी AI अधिनियम के बाध्यकारी प्रावधानों के अनुसार अनुकूलन करना उनके लिए आसान हो सकता है। यह अधिनियम अगले दो वर्षों में लागू हो जाएगा।
- इस संहिता में तीन अध्याय हैं: पारदर्शिता, कॉपीराइट और बचाव एवं सुरक्षा।
यूरोपीय संघ AI अधिनियम के बारे में
- यूरोपीय संघ AI अधिनियम दुनिया का पहला व्यापक AI कानून है।
- इस अधिनियम में विनियमन के लिए जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाया गया है। साथ ही, यह AI से उत्पन्न जोखिम के अनुसार उस पर अलग-अलग नियम लागू करता है।
- यह AI प्रदाताओं के लिए स्पष्ट जवाबदेही सुनिश्चित करता है। इसका अपनी मूल्य श्रृंखलाओं और थर्ड पार्टी जोखिम प्रबंधन के माध्यम से जनरेटिव AI का उपयोग करने वाले व्यवसायों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
- जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) की तरह, EU AI अधिनियम के भी एक वैश्विक मानक बनने की उम्मीद है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में जीवन पर AI के नकारात्मक की बजाय सकारात्मक प्रभाव सुनिश्चित करना है।
- अनुपालन: नियमों का पालन न करने पर काफी जुर्माना लगाया जा सकता है, जो कंपनी के वैश्विक टर्नओवर का 7% तक हो सकता है।
कंपनियों द्वारा उठाई गई प्रमुख चिंताएं
- कंपनियों का मानना है कि यह कोड मॉडल डेवलपर्स के लिए कानूनी अस्पष्टताएं पैदा करता है और आगामी AI अधिनियम के दायरे से परे है।
- विनियामक जटिलता और प्रशासनिक बोझ से यूरोप की AI प्रतिस्पर्धात्मकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
भारत में AI विनियमन
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