कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (बस्तर, छत्तीसगढ़) | Current Affairs | Vision IAS
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    कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (बस्तर, छत्तीसगढ़)

    Posted 02 May 2025

    Updated 07 May 2025

    9 min read

    • अवस्थिति: यह दक्कन प्रायद्वीप-पूर्वी उच्च भूमि का हिस्सा है। 
    • स्थापित: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत 1982 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित।
    • प्रमुख विशेषताएं:
      • इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहने वाली प्रमुख नदी कांगेर है।
      • यह खोलाबा नदी के तट पर स्थित है। यह गोदावरी की एक सहायक नदी है।
      • विविध स्थलाकृति: निम्न समतल भूमि, हल्की ढलान, खड़ी ढलान, पठार, गहरी खाइयां, घाटियां, घुमावदार जलधाराएं आदि।
      • वनस्पति: यह उद्यान एक-दूसरे के निकटवर्ती क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार की वनस्पति के अनुकूल है, जैसे- उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन, उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन, और उष्णकटिबंधीय अर्द्ध-सदाबहार वन।
        • यह प्रायद्वीपीय भारत में साल और सागौन वनों के बीच एक प्राकृतिक संक्रमण क्षेत्र (इकोटोन क्षेत्र) बनाता है।
      • भू-आकृति विज्ञान संबंधी विशेषताएं:
        • कार्स्ट स्थलाकृति: इसमें भूमिगत चूना पत्थर की गुफाएं पाई जाती हैं, जिनमें स्पेलोथेम्स पाए जाते हैं।
        • यहां तीन अद्वितीय गुफाएं यानी कुटुंबसर, कैलाश और दंडक पाई जाती हैं। ये स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स की अद्भुत भूवैज्ञानिक संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं।
      • अन्य आकर्षण: तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर धारा जलप्रपात (एक टेक्टोनिक घटना द्वारा निर्मित) आदि। 
      • मुख्य जीव-जंतु: तेंदुए, धारीदार लकड़बग्घा और ढोल (जंगली कुत्ते); पूर्वी पहाड़ी मैना (छत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी), विशाल गिलहरी (यह प्रजाति केवल इसी क्षेत्र में पाई जाती है) आदि।
        • उच्च स्तर की स्थानिकता: इस राष्ट्रीय उद्यान की चूना पत्थर की गुफाओं में मकड़ी की ऐसी 5 प्रजातियां पाई जाती हैं, जो केवल यहीं पाई जाती हैं।
    • Tags :
    • कांगेर घाटी
    • दक्कन प्रायद्वीप
    • इकोटोन क्षेत्र
    • तीरथगढ़ जलप्रपात
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