भारत की जैव-अर्थव्यवस्था: नवाचार और संधारणीयता के माध्यम से संवृद्धि को बढ़ावा | Current Affairs | Vision IAS
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    भारत की जैव-अर्थव्यवस्था: नवाचार और संधारणीयता के माध्यम से संवृद्धि को बढ़ावा

    Posted 17 Dec 2024

    Updated 18 Dec 2024

    112 min read

    प्रस्तावना

    दुनिया जैव-नवाचार (Bio-innovation) द्वारा संचालित एक नई औद्योगिक क्रांति की राह पर है। उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में, भारत की जैव-अर्थव्यवस्था (Bioeconomy) नवाचार, विकास, और वैश्विक प्रभाव बढ़ाने की एक अद्वितीय यात्रा को दर्शाती है। पिछले दशक में, भारत की जैव-अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय वृद्धि की है, जो 2014 के 10 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2023 के अंत तक 151 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है। महत्वाकांक्षी BioE3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) की शुरुआत के साथ, भारत की जैव-अर्थव्यवस्था के 2030 तक 300 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह आर्थिक परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण कदम है और भारत को वैश्विक जैव-प्रौद्योगिकी या बायोटेक के क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित करेगा।

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