1. सेमीकंडक्टर क्या हैं और वे इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं?
- अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स के मूलभूत निर्माण खंड हैं, जो स्मार्टफोन्स, कंप्यूटर, उपग्रह से लेकर रक्षा प्रणालियों तक सबको संचालन क्षमता प्रदान करते हैं।

- इनमें चालक और अवरोधक (इन्सुलेटर) के बीच के विद्युत गुण होते हैं, जिससे नियंत्रित विद्युत प्रवाह प्राप्त करना संभव होता है।
- 1947 में पहले ट्रांजिस्टर के आविष्कार और 1960 के दशक में एकीकृत सर्किट (IC) के आविष्कार के बाद से, सेमीकंडक्टर का निरंतर विकास हुआ है (इन्फोग्राफिक देखें)।
- सेमीकंडक्टर के प्रकार
- तत्त्व-आधारित सेमीकंडक्टर: ये किसी एक ही तत्त्व से बने होते हैं (उदाहरण: सिलिकॉन, जर्मेनियम)।
- यौगिक सेमीकंडक्टर: ये दो या दो से अधिक तत्त्वों से मिलकर बने होते हैं (उदाहरण: गैलियम आर्सेनाइड)। इनका उपयोग एलईडी (LEDs), सेमीकंडक्टर लेजर और उच्च-आवृत्ति वाले उपकरणों में किया जाता है।
- प्रमुख गुण
- नियंत्रणीय: इनकी चालकता को डोपिंग (अशुद्धियां मिला कर) और विद्युत क्षेत्रों (ट्रांजिस्टर) के द्वारा आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
- तापमान: तापमान बढ़ने पर इनकी प्रतिरोधकता घटती है।
- प्रकाश-संवेदी: ये प्रकाश से विद्युत धारा उत्पन्न (सौर सेल) कर सकते हैं और प्रकाश उत्पन्न (LEDs) भी कर सकते हैं ।
- वाहक: इनमें विद्युत प्रवाह इलेक्ट्रॉनों और होल्स दोनों के द्वारा होता है।
- विभिन्न आकार (नोड): इन्हें विभिन्न नोड आकारों में विनिर्मित किया जाता है, जैसे 3nm, 5nm, 28nm, और 65nm, जिनमें से प्रत्येक का अलग-अलग तकनीकी उद्देश्य की पूर्ति करता है।
सेमीकंडक्टर में ‘nm’ को समझना: सेमीकंडक्टर नोड्स क्या हैं?
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उनके विशिष्ट गुण छोटे इलेक्ट्रॉनिक चिप्स के विनिर्माण में उनके उपयोग को संभव बनाते हैं, जिनके अनुप्रयोगों का दायरा बहुत व्यापक होता है।