WHO ने पारंपरिक चिकित्सा के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के एकीकरण में भारत के प्रयासों की सराहना की | Current Affairs | Vision IAS
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    WHO ने पारंपरिक चिकित्सा के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के एकीकरण में भारत के प्रयासों की सराहना की

    Posted 14 Jul 2025

    17 min read

    WHO ने आयुष प्रणाली (आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी) में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को मान्यता दी है।

    • यह मान्यता WHO की पहली तकनीकी रिपोर्ट “पारंपरिक चिकित्सा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुप्रयोग का मानचित्रण” के माध्यम से दी गई है। इस रिपोर्ट को भारत के प्रस्ताव के बाद जारी किया गया है।
    • यह रिपोर्ट "ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन AI फॉर हेल्थ (GI-AI4H)" के अंतर्गत तैयार की गई है।
      • GI-AI4H पहल WHO, अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) और विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की गई है।

    भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में AI के उपयोग 

    • स्मार्ट निदान: पारंपरिक तकनीकों जैसे नाड़ी परीक्षण, जीभ विश्लेषण और प्रकृति मूल्यांकन को मशीन लर्निंग एवं डीप लर्निंग के साथ जोड़कर AI का निदान में सहायता के लिए उपयोग किया जा रहा है।
    • आयुर्जीनोमिक्स (Ayurgenomics): यह जीनोमिक्स को आयुर्वेदिक सिद्धांतों के साथ जोड़ता है। AI की मदद से रोग जोखिम संकेतकों की पहचान की जाती है। यहां AI व्यक्ति की आयुर्वेदिक संरचना के आधार पर स्वास्थ्य संबंधी सलाह देने में मदद करता है।
    • औषधि क्रिया मार्ग की पहचान: रस, गुण और वीर्य जैसी आयुर्वेदिक अवधारणाओं का आकलन करने के लिए रासायनिक सेंसर विकसित किए जा रहे हैं।

    पारंपरिक चिकित्सा में AI के उपयोग से जुड़ी मुख्य चुनौतियां

    • बायोपायरेसी का खतरा: पारंपरिक ज्ञान और संसाधनों का बिना अनुमति के लाभ के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है।
    • डिजिटल अंतराल: कमजोर बुनियादी ढांचा और कम डिजिटल साक्षरता AI तक पहुंच एवं उसके उपयोग को सीमित करते हैं।
    • गुणवत्तापूर्ण डेटा की कमी: AI को बड़े और विश्वसनीय डेटा सेट्स की आवश्यकता होती है, जो पारंपरिक चिकित्सा में अक्सर उपलब्ध नहीं होते।
    • स्थानीयकरण बनाम एकीकरण: AI उपकरणों की स्थानीय प्रासंगिकता और वैश्विक उपयोग व मानकीकरण के बीच संतुलन बनाना कठिन होता है।

    पारंपरिक चिकित्सा में AI की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए यह आवश्यक है कि WHO के फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज पर दिशा-निर्देशों को पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार ढाला जाए तथा विशेष रूप से आदिवासी समुदायों और स्थानीय समुदायों के अधिकारों एवं ज्ञान की रक्षा हेतु मजबूत डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क विकसित किए जाएं। इसके अलावा, वैश्विक सहयोग को भी प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

    पारंपरिक चिकित्सा में AI के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास

    • ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL): आयुर्वेद, सिद्ध, सोवा रिग्पा और योग से संबंधित पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का डिजिटलीकरण।
    • आयुष ग्रिड: इसे 2018 में लॉन्च किया गया था। यह पारंपरिक चिकित्सा के लिए एक केंद्रीय डिजिटल मंच है, जो निम्नलिखित प्रमुख पहलों का समर्थन करता है:
      • AYUSH स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (AHMIS): यह क्लीनिकल संस्थानों द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला क्लाउड-आधारित सूचना तंत्र है।
      • SAHI पोर्टल: आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सूचना का मानकीकरण।
      • नमस्ते (NAMASTE) पोर्टल: पारंपरिक चिकित्सा सेवाओं के लिए समर्पित पोर्टल।
      • आयुष रिसर्च पोर्टल: अनुसंधान संसाधनों तक केंद्रीकृत पहुंच।
      • आयुष संजीवनी मोबाइल ऐप और योग लोकेटर मोबाइल ऐप।
    • ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) शिखर सम्मेलन 2023: यह एक बहु-हितधारक पहल है, जिसका उद्देश्य AI पर सिद्धांत और व्यवहार के बीच के अंतराल को खत्म करना है।
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    • आयुष
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