
श्रीमंत शंकरदेव (1449–1568)
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने बटाद्रवा थान पुनर्विकास परियोजना का उद्घाटन किया। बटाद्रवा थान महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव जी की जन्मस्थली है।
श्रीमंत शंकरदेव के बारे में:
- उनका जन्म असम के नगांव जिले में स्थित अली-पुखुरी में हुआ था।
- वे एक संत-विद्वान, बहुश्रुत (polymath) और महान समाज व धर्म सुधारक थे।
- प्रमुख योगदान:
- उन्होंने वैष्णववाद के एक रूप “एक-शरण-हरि-नाम-धर्म” का प्रचार किया था। इसमें भगवान कृष्ण को परम, शाश्वत और एक माना जाता है।
- उन्होंने नामघर और सत्र (Sattras) जैसे मठ संस्थानों की स्थापना की थी, जो सांस्कृतिक एवं धार्मिक गतिविधियों के केंद्र बन गए।
- समाज सुधार: उन्होंने जाति-विरोधी आंदोलनों और महिलाओं के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए थे।
- वे एक प्रखर लेखक, नाटककार और संगीतकार थे। उनकी प्रमुख साहित्यिक कृतियों में कीर्तन घोष (भक्ति छंद); भक्ति प्रदीप आदि शामिल हैं।
- उन्हें बोरगीत (संगीत), सत्रिया (शास्त्रीय नृत्य), अंकिया नाट और भाओना (नाटकीय प्रदर्शन) की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है।
- मूल्य: समानतावाद, मानवतावाद, अध्यात्मवाद आदि।