INSV कौंडिन्य ने अपनी ओमान यात्रा का शुभारंभ किया | Current Affairs | Vision IAS
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In Summary

  • टंकाई पद्धति का उपयोग करके पारंपरिक रूप से सिलाई करके बनाई गई नौका, INSV कौंडिन्या ने ओमान के लिए अपनी पहली यात्रा पूरी की।
  • अजंता गुफा चित्रों की तर्ज पर निर्मित, यह पूरी तरह से पवन ऊर्जा पर निर्भर है और इसमें गंडाभेरुंडा और सूर्य रूपांकनों जैसे सांस्कृतिक प्रतीक शामिल हैं।
  • पांचवीं शताब्दी ईस्वी से चली आ रही टांकाई पद्धति में धातु का उपयोग नहीं किया जाता है, बल्कि लचीलेपन के लिए तख्तों को नारियल की रस्सी और प्राकृतिक राल से सिला जाता है।

In Summary

INSV कौंडिन्य भारतीय नौसेना का अग्रणी 'सिलाई पद्धति से निर्मित पाल युक्त जहाज है। इसे पारंपरिक टंकाई पद्धति का उपयोग करके बनाया गया है। इसने ओमान के लिए अपनी पहली विदेशी यात्रा शुरू कर दी है। 

  • टंकाई पद्धति लगभग 5वीं शताब्दी ईस्वी पुरानी है। 
  • इस जहाज का नाम कौंडिन्य नामक एक प्रसिद्ध भारतीय नाविक के नाम पर रखा गया है। उन्हें भारत से दक्षिण-पूर्वी एशिया की समुद्री यात्राओं के लिए जाना जाता है।

INSV कौंडिन्य के बारे में

  • इसका मॉडल मुख्य रूप से अजंता की गुफाओं (गुफा संख्या 17) में चित्रित जहाजों पर आधारित है, क्योंकि ऐसे जहाजों का कोई मूल ब्लूप्रिंट (नक्शा) मौजूद नहीं है।
  • इसे 2023 में संस्कृति मंत्रालय, भारतीय नौसेना और होदी इनोवेशंस के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते के तहत बनाया गया है।
    • होडी इनोवेशंस संस्कृति मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है। 
  • आधुनिक नौसैनिक जहाजों के विपरीत, कौंडिन्य में कोई इंजन नहीं है। यह पूरी तरह से पाल के माध्यम से पवन की गति पर निर्भर है।
  • जहाज की प्रकृति और उद्देश्य: हालांकि, इसका स्वामित्व और संचालन भारतीय नौसेना के पास है, लेकिन यह लड़ाकू जहाज नहीं है।

टंकाई पद्धति के बारे में

  • यह जहाज निर्माण की एक पारंपरिक भारतीय तकनीक है। इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
    • इसमें धातु (कीलों) का उपयोग नहीं किया जाता।
    • लकड़ी के तख्तों को कीलों की बजाय नारियल की रस्सी (क्वायर) से सिला जाता है।
    • दरारें भरने और सामग्री को जोड़ने के लिए नारियल के रेशे एवं प्राकृतिक राल (Resin) का उपयोग किया जाता है।
    • इस विधि में पहले जहाज का बाहरी हिस्सा पतवार (hull) सिला जाता है और आंतरिक ढांचा (ribs) बाद में जोड़ा जाता है। इससे जहाज को उच्च संरचनात्मक लचीलापन मिलता है, जिससे यह लहरों के दबाव में टूटने की बजाय उनके प्रति अनुकूल हो जाता है। 

INSV कौंडिन्य पर सांस्कृतिक प्रतीक

  • गंडभेरुंड (Gandabherunda): दो सिरों वाला एक विशाल गरुड़, जो कदंब राजवंश से जुड़ा है और शक्ति व सुरक्षा का प्रतीक है।
  • पाल पर सूर्य की आकृतियां: जीवन शक्ति, दिव्यता, नौवहन और शुभ शुरुआत का प्रतिनिधित्व करती हैं।
  • अग्रभाग (गलही/ Bow) पर सिंह यली: एक शेर जैसा काल्पनिक जीव जो जहाज की शक्ति और संरक्षण का प्रतीक है।
  • हड़प्पा शैली का पत्थर का लंगर: यह सिंधु घाटी सभ्यता के समुद्री व्यापार नेटवर्क और प्राचीन लंगर तकनीक को सम्मान प्रकट करना है।
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हड़प्पा शैली का पत्थर का लंगर

यह INSV कौंडिन्य पर एक प्रतीक है जो सिंधु घाटी सभ्यता के समुद्री व्यापार नेटवर्क और प्राचीन लंगर तकनीक को दर्शाता है।

सिंह यली (Lion Yali)

यह INSV कौंडिन्य के अग्रभाग (Bow) पर अंकित एक काल्पनिक जीव है, जो शेर जैसा दिखता है। यह जहाज की शक्ति और संरक्षण का प्रतीक है।

गंडभेरुंड (Gandabherunda)

यह INSV कौंडिन्य पर एक सांस्कृतिक प्रतीक है, जो दो सिरों वाला एक विशाल गरुड़ है। यह कदंब राजवंश से जुड़ा है और शक्ति व सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।

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