रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने सैन्य उपकरणों की खरीद को अनुमोदन प्रदान किया। इससे रक्षा उत्पादों के स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा मिलेगा और सेना की युद्धक क्षमता में वृद्धि होगी।
अनुमोदित प्रस्तावों पर एक नजर
- अस्त्र Mk-II हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल: यह भारतीय वायु सेना की सटीक हमला करने की क्षमता में वृद्धि करेगी।
- इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने किया है। यह एक स्वदेशी “बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM)” है। इसकी मारक क्षमता 100 किमी से अधिक है।
- लंबी दूरी के निर्देशित रॉकेट गोला-बारूद: इनकी थल सेना के पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (MLRS) के लिए खरीद की जाएगी।
- इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम Mk-II: इसकी महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों की सुरक्षा के लिए ड्रोन को लक्षित करने की उन्नत क्षमता और रेंज के साथ खरीद की जाएगी।
- SPICE-1000 लंबी दूरी की मार्गदर्शन प्रणाली: यह इजरायल की राफेल उन्नत रक्षा प्रणाली द्वारा डिजाइन की गई प्रणाली है। यह सीमा-पार लंबी दूरी पर सटीक हवा से जमीन पर हमला करने में सक्षम बनाएगी।
- हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग रेंज (HALE) रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (RPAS): यह हिंद महासागर क्षेत्र में निरंतर खुफिया जानकारी, निगरानी और विश्वसनीय समुद्री डोमेन जागरूकता सुनिश्चित करेगा।
- थल सेना के लिए स्वदेशी लॉइटरिंग म्यूनिशन: इन्हें 'कामिकेज़ (आत्मघाती) ड्रोन' या 'सुसाइड ड्रोन' के रूप में भी जाना जाता है। निगरानी के लिए उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक मानव रहित यान (UAV) के विपरीत, इन्हें सीधे लक्ष्यों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) के बारे में
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