RBI ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के लिए स्केल-आधारित विनियमन (SBR) की समीक्षा शुरू की | Current Affairs | Vision IAS
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In Summary

  • आरबीआई के एसबीआर फ्रेमवर्क (2022) में गैर-राष्ट्रीय वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को प्रणालीगत महत्व और जोखिम के आधार पर चार स्तरों में वर्गीकृत किया गया है: बेस, मिडिल, अपर और टॉप।
  • मुख्य रूप से ऋणदाता होने के नाते, गैर-वित्तीय वित्तीय संस्थान (एनबीएफसी) मांग जमा स्वीकार नहीं करते हैं, चेक जारी नहीं करते हैं और बैंकों से इस मायने में भिन्न होते हैं कि उनके पास डीआईसीजीसी बीमा नहीं होता है।
  • मध्य स्तर के पास कुल एनबीसी परिसंपत्तियों का सबसे बड़ा हिस्सा (64.6%) है, जबकि ऊपरी स्तर में वे संस्थाएं शामिल हैं जिन्हें आरबीआई की बेहतर निगरानी की आवश्यकता है।

In Summary

यह समीक्षा ऐसे समय में की जा रही है, जब गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) द्वारा दिया गया ऋण पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ा है। NBFCs द्वारा प्रदत्त ऋण बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 15 प्रतिशत तक पहुंच गया है। 

  • RBI ने यह कदम निम्नलिखित कारणों से उठाया है-
    • बैंकों के साथ NBFCs की बढ़ती अंतर्संबंधता;
    • असुरक्षित ऋणों में वृद्धि और 
    • संभावित प्रणालीगत जोखिम।

NBFCs के लिए स्केल-आधारित विनियमन (SBR) फ्रेमवर्क के बारे में:

RBI ने इस फ्रेमवर्क को 2022 में लागू किया था। इसके तहत NBFCs को उनके आकार, प्रणालीगत महत्त्व और जोखिम के स्तर के आधार पर चार स्तरों (layers) में विभाजित किया गया है:

  • आधार स्तर (Base Layer - NBFC-BL): इसमें वे NBFCs शामिल हैं, जो जमा स्वीकार नहीं (नॉन-डिपॉजिट) करती है तथा जिनकी परिसंपत्ति ₹1,000 करोड़ से कम है। 
    • इसमें P2P लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स, खाता एग्रीगेटर (Account Aggregators: AA) और नॉन-ऑपरेटिव फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनियां शामिल हैं। 
    • कुल NBFC परिसंपत्ति में इनकी हिस्सेदारी 5.2% है।
  • मध्यम स्तर (Middle Layer- NBFC-ML): इसमें जमा स्वीकार नहीं करने वाली वे NBFCs शामिल होंगी, जिनकी परिसंपत्ति का आकार 1000 करोड़ रुपये या उससे अधिक है। साथ ही, इसमें जमा स्वीकार करने वाली (NBFC-D) सभी NBFCs भी शामिल होंगी, भले ही उनकी परिसंपत्ति का आकार कुछ भी हो।
    • कुल NBFC परिसंपत्ति में इनकी हिस्सेदारी सबसे अधिक 64.6% है।
  • ऊपरी स्तर (Upper Layer- NBFC-UL): इसमें वे NBFCs आती हैं, जिन्हें RBI ने विशेष मापदंडों और स्कोरिंग पद्धति के आधार पर "वर्धित विनियामक निरीक्षण" के लिए चिन्हित किया है। 
    • कुल NBFC परिसंपत्ति में इनकी हिस्सेदारी 30.2% है।
  • शीर्ष स्तर (Top Layer): RBI की राय में बहुत सख्त जोखिम निगरानी वाली ऊपरी स्तर की NBFCs को शीर्ष स्तर में रखा जाएगा। ऐसी NBFCs को अधिक विस्तृत और अधिक गहन पर्यवेक्षी निगरानी से गुजरना होगा।
    • आदर्श रूप से इस स्तर में किसी भी NBFCs को नहीं शामिल किया जाता है अर्थात् यह स्तर रिक्त रहता है।

NBFC क्या है?

  • NBFC कंपनी अधिनियम, 1956 या 2013 के तहत पंजीकृत एक कंपनी है।
  • इसका मुख्य कार्य ऋण देना, प्रतिभूतियों में निवेश करना और पट्टे पर देने या हायर-परचेज की गतिविधियां करना है।
  • NBFC और बैंकों के बीच मुख्य अंतर:
    • NBFC मांग जमाराशि (जैसे- बचत या चालू खाते में जमा) स्वीकार नहीं कर सकती।
    • NBFC भुगतान और निपटान प्रणाली का हिस्सा नहीं होती। यह स्वयं पर आहरित चेक जारी नहीं कर सकती।
    • जमा स्वीकार करने वाली NBFC के जमाकर्ताओं को DICGC (निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम) से जमा बीमा सुविधा नहीं मिलती है।
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खाता एग्रीगेटर (Account Aggregators: AA)

Account Aggregators are a type of NBFC that facilitates the sharing of financial information of an account holder with third-party financial service providers, with the explicit consent of the account holder. They play a crucial role in the financial data ecosystem.

DICGC (निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम)

The Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation (DICGC) is a subsidiary of the Reserve Bank of India that provides insurance cover on bank deposits. NBFC depositors do not typically receive this insurance benefit.

ऊपरी स्तर (Upper Layer- NBFC-UL)

This layer comprises NBFCs identified by the RBI for 'enhanced regulatory supervision' based on specific parameters and a scoring methodology. These NBFCs are subject to more intensive oversight due to their significant presence or potential impact on the financial system.

Title is required. Maximum 500 characters.

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