सुर्ख़ियों में क्यों?
RCB की IPL जीत का जश्न मनाने के लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर जुटी भारी भीड़ में भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
भगदड़ क्या है?

- संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय (UNDRR) के अनुसार, भगदड़ तब होती है जब भीड़ में लोग किसी खतरे या जगह की कमी के डर से अचानक एक तरफ भागने लगते हैं।
भीड़ प्रबंधन में असफलता और उसके कारण
- भीड़ नियंत्रण में असफलता:
- अत्यधिक भीड़: चिन्नास्वामी स्टेडियम की मौजूदा क्षमता 34,600 लोगों की थी जबकि वहां 2.5 लाख लोग जमा हो गए थे।
- संबंधित पक्षों के बीच समन्वय की कमी: RCB के सोशल मीडिया हैंडल ने पुलिस के साथ ठीक से समन्वय किए बिना स्टेडियम के गेट्स पर निशुल्क पास देने की घोषणा कर दी।
- भीड़ के व्यवहार को उकसाने वाले कारण:
- घबराहट और संरचनात्मक समस्याएं: 2017 में मुंबई के एलफिंस्टन रोड स्टेशन पर भारी बारिश के दौरान एक संकरी और फिसलन भरी पैदल चलने की जगह पर पुल गिरने की अफवाह से घबराहट फैल गई थी, जिससे भगदड़ मच गई।
- आग/बिजली से संबंधित घटनाएं: 1995 में हरियाणा की डबवाली फायर ट्रेजेडी में, एक टेंट वाले कार्यक्रम स्थल में आग लगने और बाहर निकलने का रास्ता संकरा होने के कारण भगदड़ मच गई थी।
- किसी सेलिब्रिटी की झलक पाने की होड़: 2024 में हैदराबाद में "पुष्पा 2" के प्रीमियर के दौरान एक सेलिब्रिटी की एक झलक पाने की कोशिश में भगदड़ मच गई थी।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के भीड़ प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश
तैयारी करना

- जोखिम का आकलन और योजना: फेलियर मोड एंड इफेक्ट एनालिसिस (FMEA) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करके हर संभावित खतरे का आकलन करना चाहिए। इसमें खतरे की गंभीरता, उसके होने की संभावना और उसे पहचानने में होने वाली कठिनाई को मापा जाता है।
- उदाहरण: 2024 के T20 वर्ल्ड कप रोडशो को मुंबई में जिस तरह से सफलतापूर्वक नियंत्रित किया गया, उससे सीख लेनी चाहिए।
- भीड़ की संख्या से संबंधित नियम: प्रति वर्ग मीटर में कितने लोग हो सकते हैं, यह तय किया जाना चाहिए और साथ ही यह भी तय होना चाहिए कि किस स्थिति में (जैसे बैरिकेड टूटने पर) लोगों को निकालना शुरू करना है।
- उदाहरण: न्यूयॉर्क में 1,000 से ज़्यादा लोगों वाले कार्यक्रमों के लिए प्रशिक्षित भीड़ नियंत्रण प्रबंधकों को रखना अनिवार्य है।
- अवसंरचना का विकास: स्टेडियम, घाट और मंदिरों जैसे स्थानों को फिर से डिज़ाइन किया जाना चाहिए। इनमें कई चौड़े प्रवेश/ निकास मार्ग होने चाहिए, बहुभाषी संकेतक और सार्वजनिक घोषणा प्रणाली (PA system) होनी चाहिए।
- सुविधाएं और आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं: 2025 के महाकुंभ मेले में आग की घटनाओं को रोकने और उनसे निपटने के लिए आर्टिकुलेटिंग वॉटर टावर्स (AWT), वॉटर एम्बुलेंस और बहु-आपदा प्रतिक्रिया वाहन जैसी सुविधाएं उपलब्ध थीं।
प्रतिक्रिया
- सूचना प्रणाली: भीड़ को सही दिशा देने और उन्हें देरी, रास्ते में बदलाव या किसी खतरे के बारे में तुरंत सूचित करने के लिए मोबाइल अपडेट, लाउडस्पीकर, साइनेज और डिजिटल बोर्ड जैसी सूचना प्रणालियों का उपयोग किया जाना चाहिए।
- सुरक्षा के उपाय: सुरक्षा के लिए, सभी महत्वपूर्ण जगहों पर वॉच टावर स्थापित किए जाने चाहिए। साथ ही, वायरलेस संचार नेटवर्क और CCTV निगरानी की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
भारत में भगदड़ रोकने के लिए तकनीक का उपयोग कैसे किया जा सकता है?RFID और IoT से भीड़ की ट्रैकिंग: ये तकनीकें लोगों की आवाजाही पर नज़र रख सकती हैं। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि किसी भी जगह पर क्षमता से ज़्यादा भीड़ न हो।
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निष्कर्ष
प्रभावी भीड़ प्रबंधन एक बहुआयामी जिम्मेदारी है, जिसके लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाने, विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय, सभी संबंधित पक्षों की भागीदारी और आधुनिक तकनीक को अपनाने की जरूरत होती है। भारत में सार्वजनिक समारोहों का आकार और संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए NDMA के दिशा-निर्देशों, विशेष रूप से जोखिम-आधारित योजना का सख्ती से पालन करना बहुत ज़रूरी है।