सुर्खियों में क्यों?
10 मार्च, 2024 को भारत-यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के बीच व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता (TEPA) पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह समझौता 1 अक्टूबर, 2025 से प्रभावी हो गया।
समझौते के मुख्य बिंदु
- पूंजी निवेश: EFTA भारत में 15 वर्षों में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश को बढ़ावा देगा, जो "मेक इन इंडिया" पहल के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है।
- इसके साथ ही भारत में दस लाख प्रत्यक्ष रोजगारों का सृजन होगा। ऐसा देश द्वारा हस्ताक्षरित किसी भी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में पहली बार होगा।
- वस्तुओं के लिए बाजार पहुँच: मशीनरी, जैविक रसायन, वस्त्र और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे क्षेत्रों में भारतीय निर्यातकों को EFTA बाज़ारों तक बेहतर पहुँच प्राप्त होगी, जिससे प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और अनुपालन लागत घटेगी।
- TEPA के तहत, EFTA में 92.2% टैरिफ लाइनों पर रियायत दी गई है, जिसमें भारत के 99.6% निर्यात शामिल हैं।
- सेवाओं और गतिशीलता (Mobility) को बढ़ावा: यह भारत का पहला ऐसा मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है, जिसमें नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंसी और आर्किटेक्चर जैसे विनियमित व्यवसायों में पारस्परिक मान्यता समझौतों (Mutual Recognition Agreements: MRAs) को शामिल किया गया है। इससे भारतीय पेशेवरों के लिए EFTA देशों में काम करना आसान हो गया है।
- बेहतर पहुंच के माध्यम से: मोड 1: सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी, मोड 3: वाणिज्यिक उपस्थिति और मोड 4: प्रमुख कर्मियों के प्रवेश और अस्थायी प्रवास के लिए अधिक निश्चितता।
- बौद्धिक संपदा अधिकार: TEPA ट्रिप्स स्तर पर बौद्धिक संपदा अधिकार प्रतिबद्धताओं को सुनिश्चित करता है। साथ ही, यह जेनेरिक दवाओं और पेटेंट के एवरग्रीनिंग से संबंधित मुद्दों में भारत के हितों की पूरी तरह से रक्षा करता है।
- सतत एवं समावेशी विकास: यह व्यापार प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, दक्षता, सरलीकरण, सामंजस्य और स्थिरता को बढ़ावा देगा।
- प्रौद्योगिकी सहयोग: यह सटीक इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य, नवीकरणीय ऊर्जा, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास जैसे क्षेत्रों में विश्व-स्तरीय प्रौद्योगिकी तक पहुँच प्रदान करेगा।
- भारत की वैश्विक छवि को सुदृढ़ करता है: यह भारत को विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ एक समान वार्ताकार भागीदार के रूप में स्थापित करता है। साथ ही, यह सुनिश्चित करता है कि परिणाम देश के दीर्घकालिक रणनीतिक और विकासात्मक हितों के अनुरूप हों।
EFTA के बारे में![]() EFTA एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1960 में मुक्त व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी, ताकि इसके वैश्विक व्यापारिक साझेदारों को लाभ मिल सके।
|
समझौते से संबंधित मुद्दे/ समस्याएं
- भारत के लिए सीमित लाभ: वस्तुओं के व्यापार के संदर्भ में भारत को इस समझौते से सीमित लाभ होने की संभावना है। ऐसा इसलिए, क्योंकि EFTA समूह में पहले से ही टैरिफ दरें बहुत कम हैं और अधिकांश आयातों को पहले से ही टैरिफ-मुक्त रखा गया है।
- यह समझौता मुख्य रूप से भारत को आयात शुल्क में कटौती और बेहतर बाजार पहुंच प्रदान करके EFTA देशों के निर्यात के पक्ष में है।
- व्यापार असंतुलन: वर्तमान में व्यापार मात्रा कम होने के बावजूद, भारत ने वित्त वर्ष 2025 में EFTA को लगभग 1.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया, जबकि 22.44 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात किया था।
- समझौते की सीमाएं: कई विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि स्विट्जरलैंड की जटिल टैरिफ संरचना, गुणवत्ता मानकों और अनुमोदन आवश्यकताओं के कारण भारत के कृषि उत्पादों के निर्यात में मौजूद कठिनाइयां बनी रह सकती हैं।
- प्रमुख कृषि उत्पादों जैसे डेयरी, सोया, कोयला आदि को बहिष्करण सूची में रखा गया है।
- सीमित निवेश विकल्प: इस समझौते के निवेश प्रावधान में पेंशन और सॉवरेन वेल्थ फंड शामिल नहीं हैं।
निष्कर्ष
TEPA एक आर्थिक और कूटनीतिक परिसंपत्ति दोनों के रूप में कार्य करता है और यह भारत का अब तक का सबसे दूरदर्शी समझौता है। आज के इस युग में, जहां व्यापार को समुत्थानशील, आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण और जलवायु प्रतिबद्धताओं से जोड़ा जा रहा है। यह भविष्य की वैश्विक साझेदारियों के लिए एक नया बेंचमार्क स्थापित करता है।
