वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism: LWE) | Current Affairs | Vision IAS
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    वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism: LWE)

    Posted 12 Nov 2025

    Updated 16 Nov 2025

    1 min read

    Article Summary

    Article Summary

    भारत सरकार का लक्ष्य 2026 तक वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करना है, तथा संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा, विकास, वित्तीय समावेशन और सामाजिक न्याय प्रयासों के माध्यम से प्रभावित जिलों को कम करना है।

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    गृह मंत्रालय के अनुसार, वामपंथी उग्रवाद से अत्यधिक प्रभावित जिलों की संख्या 6 से घटकर 3 रह गई है। ये 3 जिले बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर हैं, जो छत्तीसगढ़ में स्थित हैं।

    अन्य संबंधित तथ्य

    • LWE से मुक्त राज्य: हाल ही में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को LWE-प्रभावित राज्यों की श्रेणी से हटा दिया गया है।
    • सरकार का लक्ष्य 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद का पूर्णतः उन्मूलन करना है।
      • LWE से प्रभावित जिलों की कुल संख्या 18 से घटकर 11 रह गई है।

    वामपंथी उग्रवाद (LWE) के बारे में

    • LWE को आमतौर पर नक्सलवाद भी कहा जाता है, यह भारत की सबसे गंभीर आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में से एक है।
    • वैचारिक आधार: इसकी जड़े सामाजिक-आर्थिक असमानताओं से जुड़ी हुई हैं तथा यह माओवादी विचारधारा से प्रेरित है। इसका लक्ष्य हिंसा और दुष्प्रचार का उपयोग करके मौजूदा लोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ फेंकना और वर्गविहीन समाज की स्थापना करना है।
    • प्रभावित क्षेत्र
      • उत्पत्ति: इस आंदोलन की शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी आंदोलन से हुई थी।
      • ऐतिहासिक विस्तार (रेड कॉरिडोर): यह मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में फैला था।

    वामपंथी उग्रवाद (LWE) से उत्पन्न खतरे

    जनहानि

    वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसा में वर्ष 2004 से 2023 के बीच लगभग 8,863 लोगों की जान गई।

    अवसंरचना का विनाश

    उग्रवादी जानबूझकर स्कूल भवनों, सड़कों, रेलवे अवसंरचना, पुलों, स्वास्थ्य अवसंरचना और संचार सुविधाओं को निशाना बनाते हैं। इस प्रकार, वंचित समुदायों को यथास्थिति में बनाए रखने और विकास को दशकों पीछे बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।

    लोकतंत्र का क्षरण

    बीजापुर जिले में, माओवादियों ने धमकी देकर 17 वर्षों तक मतदान केन्द्रों को स्थापित नहीं होने दिया।

    LWE के उन्मूलन हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदम

    • विकास से संबंधित पहलें (3Cs: सड़क, मोबाइल और वित्तीय कनेक्टिविटी)
      • वित्तीय समावेशन: 30 अत्यधिक प्रभावित जिलों में 1,000 से अधिक बैंक शाखाएं और 900 ATM सुविधाएं शुरू की गई हैं। 2014 से लेकर अब तक LWE से प्रभावित जिलों में लगभग 5,900 डाकघर (बैंकिंग सेवाओं सहित) स्थापित किए गए हैं।
      • शिक्षा और कौशल विकास: 179 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRSs) शुरू किए गए हैं। साथ ही, 48 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITIs) और 61 कौशल विकास केंद्र (SDCs) भी कार्यरत हैं।
      • धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान: इसे ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक सुविधाओं की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 2024 में शुरू किया गया था। इससे 15,000 से अधिक गाँवों में लगभग 1.5 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे।
    • अन्य पहलें: 
      • नागरिक कार्यवाही कार्यक्रम: इसमें सुरक्षा बलों और स्थानीय समुदायों के बीच विश्वास को बढ़ाने और स्थानीय लोगों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए नागरिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। 
      • दूरस्थ क्षेत्रों को जोड़ने के लिए सड़क संपर्क परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। 
      • दूरसंचार सेवाओं की पहुंच में सुधार करने के लिए मोबाइल टावरों की स्थापना करना आदि।
    • सुरक्षा संबंधी पहलें
      • समाधान (SAMADHAN) फ्रेमवर्क: इसे 2017 में गृह मंत्रालय (MHA) ने LWE से निपटने के लिए प्रस्तुत किया था।
      • वित्त तक पहुंच को रोकना (Financial Choking): राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नक्सलियों के वित्तीय सहायता प्रदान करने वाले स्रोतों को समाप्त करने के लिए सक्रिय किया गया है। इसके तहत, संपत्तियों को जब्त करना और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामले दर्ज करके कार्यवाही करना शामिल है।
    • अन्य: 
      • सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना जैसे कि किलेबंद पुलिस स्टेशनों का निर्माण करना, सुरक्षा बलों की तैनाती को बढ़ाना; 
      • आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए नक्सल समर्पण और पुनर्वास नीति लागू करना; 
      • पेसा (PESA) और वन अधिकार अधिनियम के तहत स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हक़ों/ सुविधाओं को सुनिश्चित करना।

    आगे की राह

    • समग्र दृष्टिकोण को बनाए रखना: सुरक्षा, विकास और अधिकारों का संरक्षण करने पर केंद्रित एकीकृत रणनीति को निरंतर बनाए रखा जाना चाहिए।
    • स्थानीय स्तर पर क्षमता निर्माण: स्थानीय पुलिस बलों में क्षमता निर्माण, आधुनिकीकरण और विशेषज्ञ व कौशलयुक्त संयुक्त टास्क फोर्स के समावेशन पर बल दिया जाना चाहिए।
    • शिकायत निवारण: यह सुनिश्चित करना कि शिकायत निवारण के लिए वैध मंच मौजूद हों, साथ ही इस धारणा को भी पुष्ट करना चाहिए कि लोकतंत्र में हिंसा कभी सफल नहीं हो सकती है। अप्रत्यक्ष लाभ प्रदान करने के लिए एक प्रमुख नीतिगत उपाय के रूप में वन अधिकार अधिनियम, 2006 का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
    • न्यायिक जवाबदेही: सभी LWE-संबंधी मामलों की जांच और अभियोजन की प्रक्रिया को तेज किया जाना चाहिए।
    • दुष्प्रचार तंत्र से निपटना: नागरिक समाज और मीडिया को माओवादी उग्रवाद की हिंसक प्रवृत्ति के प्रति संवेदनशील बनाया जाना चाहिए। इससे उग्रवादियों पर हिंसा छोड़ने का दबाव बनाया जा सकेगा। नागरिक कार्यवाही कार्यक्रम (CAP) को सुरक्षा बलों और स्थानीय समुदायों के बीच विश्वास बनाए रखने के प्रयास जारी रहने चाहिए।

    निष्कर्ष

    भारत की LWE के खिलाफ लड़ाई अपने अंतिम चरण में है, यह विमर्श को "रेड कॉरिडोर" से "ग्रोथ कॉरिडोर" की ओर प्रेरित कर रहा है। सुरक्षा अभियानों को मजबूती से लागू करने के साथ-साथ विकास परियोजनाओं, वित्तीय समावेशन और सामाजिक न्याय पर भी अभूतपूर्व ध्यान दिया गया है। इस बहु-आयामी रणनीति के दृढ़ कार्यान्वयन से उग्रवादी कार्यवाहियों और उनके भौगोलिक विस्तार दोनों को व्यवस्थित रूप से सीमित कर दिया गया है। इससे समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए स्थायी शांति और विकास सुनिश्चित हुआ है।

    • Tags :
    • LWE
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