"भविष्य के लिए कौशल: भारत के कार्यबल परिदृश्य में बदलाव" शीर्षक से रिपोर्ट जारी की गई | Current Affairs | Vision IAS
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    "भविष्य के लिए कौशल: भारत के कार्यबल परिदृश्य में बदलाव" शीर्षक से रिपोर्ट जारी की गई

    Posted 28 Jun 2025

    13 min read

    यह रिपोर्ट कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय द्वारा जारी की गई है। इसमें ज्ञान-आधारित वैश्विक अर्थव्यवस्था के संदर्भ में भारत के कौशल परिदृश्य की समीक्षा की गई है।

    रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर 

    • भारत का कौशल परिदृश्य
      • कम दक्षता वाले व्यवसाय: वर्ष 2023-24 में भारत का लगभग 88% कार्यबल कम-दक्षता वाले कार्यों में लगा हुआ था।
      • बेमेल कौशल: कई कामगार ऐसे कार्यों में लगे हैं, जो उनकी शिक्षा के स्तर के अनुरूप नहीं होते। इसका कारण यह है या तो उनकी योग्यता अधिक होती है या कम होती है। 
      • संरचनात्मक मुद्दे:
        • कम-कौशल वाले कार्यों में अधिक शिक्षित लोगों का होना इस तथ्य को दर्शाता है कि उच्च-कौशल वाली नौकरियों की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है।
        • वहीं, कम शिक्षित लोगों का उच्च-कौशल वाली नौकरियों में होना इस तथ्य को दर्शाता है कि कम आय वालों और ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा एवं प्रशिक्षण तक पहुंच की भारी कमी है।
      • उच्च-कौशल वाली नौकरियों में कौशल की कमी: इन भूमिकाओं के लिए आवश्यक शिक्षा की कमी वाले कई लोग हैं।

    बेमेल कौशल का प्रभाव

    • आर्थिक उत्पादकता में गिरावट: अधिक शिक्षित लोग जब कम-कौशल वाले कार्यों में लगते हैं, तो उनकी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो पाता। वहीं, कम शिक्षित लोग उच्च-कौशल वाली नौकरियों में संघर्ष करते हैं।
    • मानव संसाधन का अक्षम उपयोग: कौशल और नौकरी के बीच असंतुलन से श्रम बाजार की क्षमता घटती है और नवाचार में बाधा आती है। साथ ही, देश की जनसांख्यिकीय शक्ति का पूरा लाभ नहीं मिल पाता।
    • सामाजिक और आर्थिक उन्नति में बाधा: यह असंतुलन पहले से मौजूद असमानताओं को और बढ़ाता है, जिससे गरीब वर्गों के लिए ऊपर उठने के अवसर कम हो जाते हैं। साथ ही, सामाजिक-आर्थिक असमानताओं में भी वृद्धि होती है।
    • प्रवासन और प्रतिभा पलायन: बेहतर अवसरों की कमी लोगों को दूसरे राज्यों या देशों की ओर पलायन के लिए मजबूर कर सकती है।

    सिफारिशें

    • तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा-प्रशिक्षण (TVET) में सुधार करना: पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को उद्योगों की बदलती जरूरतों एवं नई तकनीकों के अनुरूप बनाया जाना चाहिए।
    • कौशल की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों का आकलन करने के लिए एक मानक तंत्र स्थापित करना: यह कार्य साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण और लक्षित हस्तक्षेपों में मदद करेगा।
    • उद्योगों की भागीदारी और जवाबदेही: उद्योगों को प्रमाणित कुशल लोगों को काम पर रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, और बाजार के अनुकूल प्रशिक्षण प्रदान करने की जिम्मेदारी देनी चाहिए।
    • आजीवन सीखने को बढ़ावा देना: कर्मचारियों को निरंतर कौशल विकास (स्किलिंग), कौशल उन्नयन (अपस्किलिंग), और नए कौशल सीखने (रीस्किलिंग) के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए। इससे नौकरी की बदलती मांगों को पूरा करने में मदद मिल सकती है। 
    • Tags :
    • TVET
    • बेमेल कौशल
    • तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा-प्रशिक्षण (TVET)
    • भारत का कार्यबल
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